क्या काम का दबाव जान ले लेता है? पुणे और लखनऊ में महिलाओं की मौत से उठे सवाल, क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

क्या काम के दबाव में किसी व्यक्ति की मौत हो सकती है? यह सवाल इसलिए क्योंकि लखनऊ में एक प्राइवेट बैंक की महिला अधिकारी की मौत हो गई. महिला ऑफिस में बैठकर काम कर रही थीं. अचानक वह कुर्सी से नीचे गिरीं और उसने जान गंवा दी. आरोप है कि महिला पर काम का काफी प्रेशर था. पुणे में भी एक महिला सीए की मौत भी हो गई थी. आरोप है कि वर्कलोड अधिक होने के कारण महिला की जान गई थी. दोनों ही मामलों में हुई डेथ का कारण काम का प्रेशर बताया जा रहा है. लेकिन यहां ये जानना जरूरी है की क्या वाकई ज्यादा काम करना मौत का कारण बन सकता है? ये जानने के लिए हमने एक्सपर्ट्स से बातचीत की है.

सफदरजंग अस्पताल में कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग में प्रोफेसर डॉ. जुगल किशोर बताते हैं कि काम के दबाव का इन मौत से सीधा संबंध नहीं है, लेकिन काम के प्रेशर में लंबे समय तक रहने से व्यक्ति मानसिक तनाव में आ सकता है. अगर मानसिक तनाव बढ़ता तो ये हाई बीपी और हार्ट अटैक तक का कारण बन सकता है. जिससे मौत हो सकती है. हालांकि ऐसे मामलों में मौत के सही कारणों की जानकारी होना जरूरी होता है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही सही जानकारी मिल पाती है की मौत कैसे हुई है. अगर रिपोर्ट्स में हार्ट अटैक की पुष्टि हुई है तो मौत का कारण मानसिक तनाव हो सकता है . ऐसा इसलिए क्योंकि मानसिक तनाव की वजह से बीपी हाई होने का रिस्क होता है. बीपी हाई होने से हार्ट अटैक आ सकता है. जिससे मौत हो सकती है. हाई बीपी स्ट्रोक का भी कारण बनता है.

ज्यादा काम से मानसिक तनाव हो जाता है?

गाजियाबाद के जिला अस्पताल में मनोरोग विभाग में डॉ एके कुमार बताते हैं कि ऐसा जरूरी नहीं है की ज्यादा काम करने से सभी व्यक्ति मानसिक तनाव में आते हों, ज्यादा काम थकावट तो कर सकता है, लेकिन सभी की मेंटल हेल्थ खराब होने लगे ऐसा जरूरी नहीं है. लेकिन जो लोग ज्यादा काम करते हैं और इस काम को मजबूरी समझते हैं और उनका काम में मन नहीं लगता है तो इससे मानसिक तनाव हो सकता है़. कुछ व्यक्ति जीवन की कुछ दूसरी घटनाओं की वजह से भी तनाव में रहते हैं. अगर इसी के साथ ही काम का प्रेशर बढ़े और व्यक्ति इससे भी तनाव में आता जाए तो इससे उसकी मेंटल हेल्थ खराब होने लगती है.

हालांकि ऐसा कुछ दिन या सप्ताह में नहीं होता है. ऐसा तब होता है जब व्यक्ति कई महीनों या सालों से काम के प्रेशर में रहता है. व्यक्ति नौकरी बचाने के लिए घंटों काम करता है. भविष्य की चिंता और नौकरी जाने के डर के कारण वह एंग्जाइटी का शिकार होने लगता है. इससे धीरे-धीरे मेंटल हेल्थ खराब होने लगती है और व्यक्ति मानसिक तनाव में रहता है. मानसिक तनाव शरीर में 5 से 10 बीमारियों का कारण बन सकता है. इनमें हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट, हाई बीपी और स्ट्रोक सबसे आम है. ये सभी बीमारियां मौत का कारण बन सकती हैं. अगर लंबे समय तक काम करने से कोई व्यक्ति मानसिक रूप से थक रहा है तो वह उसकी सेहत के लिए जानलेवा साबित हो सकता है.

काम के प्रेशर में होती हैं लाखों मौतें

विश्व स्वास्थ्य संगठन की साल 2017 में जारी हुई रिपोर्ट बताती है कि 2017 में लंबे समय तक काम करने और इससे हुई मानसिक तनाव के कारण हुई हार्ट डिजीज और स्ट्रोक की वजह से 7, 45000 लोगों की मौत हो गई थी. आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया की 9% आबादी – जिसमें बच्चे भी शामिल हैं – लंबे समय तक काम कर रही है. साल 2000 के बाद से ही तय समय से ज्यादा काम करने वालों की संख्या बढ़ रही है.

एनवायरनमेंट इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित पेपर में शोधकर्ताओं ने बताया है कि प्रति सप्ताह 50 घंटे या उससे अधिक काम करना मानसिक तनाव का कारण बन सकता है. काम करने का समय सप्ताह में 55 घंटे से कम का होना चाहिए. अगर इससे ज्यादा है तो ये व्यक्ति की हेल्थ को बिगाड़ देता है. अगर कोई व्यक्ति एक्सरसाइज नहीं करता है फास्ट फूड का सेवन अधिक करता है और लाइफस्टाइल खराब है तो उससे मानसिक तनाव में आने का रिस्क अधिक होता है. ऐसे व्यक्ति में मेंटल स्ट्रेस हार्ट अटैक और स्ट्रोक का कारण बनता है.

कितना काम करना चाहिए

विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइलाइंस के मुताबिक, एक व्यक्ति को सप्ताह में औसतन 35 से 40 घंटे काम करना चाहिए. इससे ज्यादा काम करने से व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से थक सकता है.डॉ कुमार कहते हैं कि संस्थानों को कर्मचारियों के काम के घंटे तय करने चाहिए. इसको लेकर सरकार को भी कड़े नियम बनाने की जरूरत है.

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