Monday, March 24, 2025
spot_img
Homeराष्ट्रीयदृष्टिबाधित व्यक्तियों को न्यायिक सेवाओं में अवसर से वंचित नहीं किया जा...

दृष्टिबाधित व्यक्तियों को न्यायिक सेवाओं में अवसर से वंचित नहीं किया जा सकता : न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि दृष्टिबाधित व्यक्तियों को न्यायिक सेवाओं में रोजगार के अवसर से वंचित नहीं किया जा सकता।

न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने पिछले साल तीन दिसंबर को कुछ राज्यों में न्यायिक सेवाओं में दृष्टिबाधित व्यक्तियों को आरक्षण न दिए जाने को लेकर स्वत: संज्ञान वाले एक मामले सहित छह याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

न्यायमूर्ति महादेवन ने फैसला सुनाते हुए कहा कि न्यायिक सेवा में भर्ती के दौरान दिव्यांगजन के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए तथा सरकार को समावेशी ढांचा सुनिश्चित करने के लिए उनके लिए सकारात्मक कदम उठाने चाहिए।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘चाहे वह ‘कटऑफ’ के माध्यम से हो या प्रक्रियात्मक बाधाओं के कारण.. किसी भी प्रकार के ऐसे अप्रत्यक्ष भेदभाव में हस्तक्षेप किया जाना चाहिए जिसके परिणामस्वरूप दिव्यांगजन को अवसर से वंचित रखा जाता हो ताकि मौलिक समानता बरकरार रखी जा सके।’’

फैसले में कहा गया कि किसी भी उम्मीदवार को केवल उसके दिव्यांग होने के कारण अवसर से वंचित नहीं किया जा सकता।
शीर्ष अदालत ने मध्य प्रदेश सेवा परीक्षा (भर्ती एवं सेवा शर्तें) नियम 1994 के उन कुछ नियमों को भी रद्द कर दिया, जिसके तहत दृष्टिबाधित और अल्प दृष्टि वाले उम्मीदवारों को न्यायिक सेवा में प्रवेश से रोका गया था।
ये याचिकाएं मध्य प्रदेश नियमावली के नियम 6ए और सात की वैधता से संबंधित थीं।

फैसले में कहा गया है कि चयन प्रक्रिया में भाग लेने वाले पीडब्ल्यूडी (दिव्यांग) उम्मीदवार फैसले के आलोक में न्यायिक सेवा चयन के लिए विचार किए जाने के हकदार हैं और यदि वे पात्र हैं तो उन्हें रिक्त पदों पर नियुक्त किया जा सकता है।
इस संबंध में विस्तृत फैसला अभी उपलब्ध नहीं है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments