भाजपा ने Hinganghat सीट से वर्तमान विधायक Sameer Kunwar को फिर बनाया अपना उम्मीदवार, विपक्षी गठबंधन उम्मीदवार खोजने में जुटा
चुनाव आयोग द्वारा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद अब सभी छोटे-बड़े राजनीतिक दलों की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। चुनाव लड़ने के इच्छुक नेता भी टिकट के लिए अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। बात अगर हिंगनघाट विधानसभा क्षेत्र की करें तो यहां भाजपा के समीर कुणावार का कब्ज़ा है। जिनको पार्टी ने एक बार से चुनाव लड़ने की जिम्मेदारी सौंपी है। तो वहीं, महाविकास अघाड़ी के कई नेताओं ने हिंगणघाट के लिए अपनी दावेदारी प्रस्तुत करनी शुरू कर दी है। इस सीट को लेकर एमवीए के नेताओं में टकराव की स्थिति निर्माण होने की संभावना है।
हिंगनघाट में तेली व कुणबी वोटरों की संख्या अधिक
यह विधानसभा क्षेत्र समुद्रपुर, सेलू व हिंगनघाट तहसील में विस्तारित है। भाजपा के समीर कुणावार बीते दो चुनाव से यहां से रिकॉर्डतोड़ वोटों से विजयी हुए है। सन 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को यहां बड़ी बढ़त मिली थी। परंतु 2024 के लोकसभा चुनाव में स्थिति बदल चुकी है। MVA के प्रत्याशी अमर काले को क्षेत्र से 20555 वोट की लीड मिली है। जिससे इस चुनाव में MVA को लीड मिलने के कारण कुणावार के लिए भी खतरे की घंटी बज चुकी है। क्योंकि इस निर्वाचन क्षेत्र में तेली व कुणबी वोटरों की संख्या अधिक है। इसलिए भाजपा ने कुणावार कोल ही अपना उम्मीदवार घोषित किया है।
महा विकास अघाड़ी से कई नेता रेस में
इसके साथ ही यह सीट राकांपा (शरद पवार) गुट के कोटे में जाने की संभावना दिख रही है। लेकिन यूबीटी गुट ने भी इस सीट पर अपना दावा बोला है। क्योंकि शिवसेना के अशोक शिंदे इस क्षेत्र से तीन बार विधायक रह चुके है। फिलहाल अशोक शिंदे मुख्यमंत्री शिंदे की सेना में है। किंतु MVA में सीट को लेकर संघर्ष निर्माण हो सकता है। राकांपा एसपी गुट की और से पूर्व विधायक राजू तिमांडे, सहकारिता नेता एड. सुधीर कोठारी, प्रदेश महासचिव अतुल वांदिले सीट के लिए प्रबल दावेदार है। वहीं युबीटी से विट्ठल गुलघाणे, राजेंद्र खुपसरे ने अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है।
हिंगनघाट निर्वाचन क्षेत्र के समुद्रपुर तहसील में कुनबी वोटर की संख्या अधिक है। तो वहीं, सेलू व हिंगनघाट तहसील में तेली वोटर अधिक है। तिमांडे व वांदिले तेली समाज से है। वहीं एड. कोठारी किसान व खेतिहर मजदूरों के नेता माने जाते हैं। यूबीटी के विट्ठल गुलघाणे तेली समाज से होने के कारण उनकी दावेदारी भी प्रबल हो सकती है। किंतु, राकां यह सीट छोड़ेगी की नहीं इस पर सब निर्भर होगा। इसके अलावा उमेश वावरे भी बीते कुछ वर्ष से तैयारी में लगे हैं। वंचित व बसपा की ओर से तगड़ा प्रत्याशी मैदान में उतारा जा सकता है। लोकसभा के परिणामों के बाद सभी संभावित प्रत्याशियों ने अपना जनसंपर्क अभियान तेज कर दिया है। विविध आंदोलन, ज्ञापन के माध्यम से जनता के सामने अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर रहे हैं।