मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार को इंदौर में विकसित ‘बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम’ (बीआरटीएस) कॉरिडोर को हटाने का निर्देश दिया।
मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश जारी किया।
याचिकाकर्ता एन एम कुरैशी के वकील अजिंक्य दगांवकर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि बीआरटीएस कॉरिडोर की संरचनाएं वाहनों की संख्या में वृद्धि के बाद यातायात की आवाजाही में बाधा पैदा कर रही हैं।
उन्होंने बताया कि जनहित याचिका इंदौर के निवासी के डी कोडवानी और एन एम कुरैशी ने दायर की थी।
दगांवकर ने कहा कि इंदौर में राजीव गांधी चौराहे से देवास नाके के बीच लगभग 11 किलोमीटर का बीआरटीएस मार्ग विकसित किया गया था।
वकील ने बताया कि पिछले सितंबर में उच्च न्यायालय ने बीआरटीएस मार्ग की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए एक समिति गठित करने का आदेश दिया था।
उन्होंने कहा कि समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि यातायात प्रवाह में वृद्धि के चलते बीआरटीएस सुविधा व्यवहार्य नहीं है।
अदालत के विस्तृत आदेश की प्रतीक्षा है।
इंदौर में बीआरटीएस 2013 में शुरू हुआ था।
पिछले साल नवंबर में, राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने घोषणा की थी कि यातायात की भीड़ को कम करने और लोगों के लिए यात्रा को आसान बनाने के लिए इंदौर में बीआरटीएस कॉरिडोर को हटा दिया जाएगा।