उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुम्भ में 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर्व के दौरान हुई भगदड़ की घटना मामले की जांच कर रहे दल ने घटना के पीछे साजिश के पहलू पर भी ध्यान केंद्रित किया है क्योंकि उन्हें कुछ संदिग्ध नजर आ गया है। हम आपको बता दें कि मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक जांचकर्ता 16,000 से अधिक मोबाइल नंबरों का डेटा विश्लेषण कर रहे हैं, जोकि भगदड़ वाले स्थल यानि संगम नोज क्षेत्र पर सक्रिय थे। इसके अलावा नियंत्रण कक्ष से लिये गये सीसीटीवी फुटेज से उन चेहरों की भी पहचान की जा रही है जो उस समय संगम नोज क्षेत्र में मौजूद थे। इसके लिए फेस रिकगनिशन सॉफ्टवेयर और एआई की मदद ली जा रही है। बताया जा रहा है कि 120 संदिग्धों की अब तक पहचान हो चुकी है लेकिन अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।
हम आपको बता दें कि भगदड़ की घटना की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग ने शुक्रवार को घटनास्थल का दौरा किया था। बताया जा रहा है कि साजिश के संदर्भ में जांच का काम यूपी एसटीएफ और महाकुंभ मेला की पुलिस भी कर रही है। बताया जा रहा है कि साजिश का शक इसलिए भी बढ़ रहा है क्योंकि घटना के समय संगम नोज क्षेत्र में सक्रिय कुछ मोबाइल नंबर लगातार बंद मिल रहे हैं। बताया जा रहा है कि एसटीएफ कई मोबाइल नंबरों पर लगातार निगरानी रखे हुए है। हम आपको बता दें कि भगदड़ की घटना के दौरान कुछ युवकों पर लोगों को धक्का देने और गिराने का भी आरोप लगा था। जांच एजेंसियां इन युवकों के बारे में जानकारी जुटा रही हैं।
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हम आपको याद दिला दें कि महाकुम्भ मेला शुरू होने से पहले खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने एक धमकी भरा वीडियो जारी करते हुए उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में मुठभेड़ के दौरान तीन खालिस्तानी आतंकियों के मारे जाने का बदला महाकुंभ मेले में लेने की धमकी दी थी। इसके अलावा भी विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर कुछ अकाउंटों से महाकुंभ मेले को लेकर धमकी देने की खबरें सामने आई थीं। इसलिए यूपी एसटीएफ ने जांच का दायरा बढ़ा दिया है। इस तरह की भी खबरें हैं कि खुफिया एजेंसियों ने भी महाकुंभ के दौरान आतंकियों की ओर से गड़बड़ी किये जाने की आशंका जताई थी।
देखा जाये तो जिस तरह से योगी सरकार के तमाम प्रयासों के चलते उत्तर प्रदेश देशभर में आध्यात्मिक पर्यटन का सबसे बड़ा केंद्र बन गया है वह बात कई लोगों को पच नहीं रही है इसीलिए भी यहां सद्भाव बिगाड़ने और राज्य सरकार को बदनाम करने के प्रयास चलते ही रहते हैं। महाकुंभ में भगदड़ की जो घटना हुई वह दुर्भाग्यपूर्ण थी लेकिन यह भी एक बड़ा तथ्य है कि प्रशासन की मुस्तैदी की वजह से घटना व्यापक रूप नहीं ले पाई और कुछ ही देर में हालात सामान्य हो गये थे। भगदड़ वाली घटना के दिन आठ करोड़ लोगों का स्नान करना इस बात को प्रमाणित करता है कि योगी सरकार ने हालात को तुरंत संभाल लिया था।
बहरहाल, वैसे तो घटना की जांच शुरू हो चुकी है लेकिन साजिश का एंगल अब राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का रूप भी ले चुका है। भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा है कि महाकुंभ में भगदड़ मामले में षड्यंत्र की बू आ रही है। उन्होंने यह भी कहा कि जब पूरी जांच का निष्कर्ष सामने आएगा तो जिन्होंने यह हादसा करवाया है उन्हें शर्म से सिर झुकाना पड़ेगा। रविशंकर प्रसाद का यह बयान दर्शा रहा है कि सत्ता पक्ष के पास साजिश के संदर्भ में कुछ ना कुछ पुख्ता जानकारी है।