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मोदी-जिनपिंग की मुलाकात, इंडियन EV कंपनियों के कान हुए खड़े, पर्दे के पीछे क्या गुल खिलाएगा चीन?

रूस का कजान शहर ब्रिक्स 2024 समिट की मेजबानी कर रहा है. यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मीटिंग होनी है. यह मुलाकात ऐसे समय पर होगी जब चीन ने लद्दाख में भारत के गश्त करने के अधिकार पर हामी भरी है. इस मीटिंग से भारत और चीन के संबंधों को और मजबूत करने में मदद मिलेगी. लेकिन दोनों देशों की नजदीकी ने इलेक्ट्रिक गाड़ियां (EV) बनाने वाली भारतीय कंपनियों की धड़कनें बढ़ा दी हैं. चीन के साथ संबंध का बेहतर होना इंडियन ईवी कंपनियों के लिए खतरा बन सकता है.

भारत और चीन के रिलेशन सुधरने का इंडियन ईवी सेक्टर पर बड़ा असर होगा. ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के अलावा इलेक्ट्रिक कारों का महंगा होना, कम रेंज और ईवी चार्जिंग इनकी लोकप्रियता बढ़ाने में सबसे बड़ी रुकावट हैं. हाइब्रिड और सीएनजी कारों से भी इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बड़ा कंपटीशन मिलता है.

इलेक्ट्रिक कार की बिक्री घटी

भारत में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री मुश्किल दौर से गुजर रही है. इलेक्ट्रिक कारों में टाटा मोटर्स का 62 फीसदी बाजार पर कब्जा है, लेकिन सितंबर 2024 में साल दर साल बिक्री के मामले में कंपनी की मार्केट 16.28 फीसदी से घटकर 3,621 यूनिट्स पर रह गई है. यह हाल तब है जब हाल ही में टाटा कर्व ईवी को लॉन्च किया गया है.

चाइनीज EV कंपनियों की भारत में एंट्री

मोदी और जिनपिंग की मीटिंग में चाइनीज ईवी कंपनियों के लिए भारत के दरवाजे खुल सकते हैं. चाइनीज ईवी कंपनियां सस्ती और क्वालिटी इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाने के लिए जानी जाती हैं. इन कंपनियों की ईवी में लॉन्ग रेंज मिलती है, जिससे एक बार फुल चार्ज करने पर लंबी दूरी तय की जा सकती है. इसलिए चीन की ईवी कंपनियां भी भारत आना चाहती हैं.

चाइनीज ईवी कंपनी BYD भारत में इलेक्ट्रिक कारें बेचती है. (BYD)

फिलहाल, चाइनीज कंपनियों के लिए नॉर्थ अमेरिका और यूरोप बड़ी मार्केट हैं. लेकिन इन दोनों जगह पर महंगा टैरिफ चीन के लिए मुश्किल बढ़ाता है. इससे चाइनीज इलेक्ट्रिक कार और अमेरिकी-यूरोप इलेक्ट्रिक कारों के बीच जबरदस्त प्राइस वॉर देखने को मिलता है.

एमजी मोटर बनेगी नजीर

भारत का मामला थोड़ा अलग है, क्योंकि यहां सस्ती इलेक्ट्रिक कारें उतारकर चाइनीज कंपनियां अच्छा मुनाफा कमा सकती हैं. फिलहाल, भारत में चाइनीज ईवी कंपनी एमजी मोटर एक भारतीय कंपनी JSW के साथ मिलकर इलेक्ट्रिक कारें बेचती है. यह पार्टनरशिप दूसरी चाइनीज कंपनियों के लिए एक नजीर बन सकती है. इसके अलावा दिग्गज चाइनीज ईवी फर्म BYD भी भारत में इलेक्ट्रिक कारें बेचती है.

इसलिए भारत से कतराती हैं चाइनीज कंपनियां

भारत की ईवी पॉलिसी और चाइनीज कंपनियों को लेकर इंडियन अथॉरिटीज का सख्त रुख चीन की दिग्गज कंपनियों को इंडिया आने से रोकते हैं. इसलिए चीन की कंपिनयां भारत में निवेश करने से घबराती हैं. सख्त जांच-पड़ताल की ईवी की पॉलिसी की शर्तों की वजह से कुछ चाइनीज कंपनियों ने भारत में बड़े इन्वेस्टमेंट प्लान को टाला है.

इंडियन EV कंपनियों के लिए मुश्किल

अगर भारत, चाइनीज इलेक्ट्रिक कंपनियों को हरी झंडी दिखाता है, तो इंडियन ईवी कंपनियों की मुश्किल बढ़ेगी. चीन की कंपिनयां अपनी महारत के बलबूते यहां सस्ती इलेक्ट्रिक कारें पेश करेंगी, जिनमें बढ़िया रेंज और बेहतर टेक्नोलॉजी एडवांसमेंट मिलेगा. भारतीय ईवी कंपनियों के लिए चाइनीज इलेक्ट्रिक कारों का मुकाबला करना आसान नहीं होगी.

चीन को न केवल इलेक्ट्रिक कार बनाने में बल्कि हाइब्रिड कार बनाने में भी महारत हासिल है. ऐसे में भारत और चीन की बढ़ती नजदीकी भारतीय ईवी कंपनियों के लिए नया कंपटीशन खड़ा कर सकती है. हालांकि, इंडियन ईवी पॉलिसी के तहत चाइनीज कंपनियों को भारी निवेश करना होगा और भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित करनी होंगी.

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