तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने मंगलवार को राज्य की विधानसभा में जाति सर्वेक्षण पेश किया। विधानसभा में बोलते हुए, रेड्डी ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर रहे पिछड़े वर्गों की मांग थी कि उनकी गणना की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी नीति को प्रभावी बनाने के लिए, उसका समर्थन करने के लिए डेटा होना चाहिए। जाति सर्वेक्षण के आंकड़ों का उपयोग राज्य में सामाजिक-राजनीतिक बदलाव लाने के लिए किया जाएगा। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि तेलंगाना में यह एक ऐतिहासिक क्षण है।
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रेड्डी ने कहा कि अभी तक देश में पिछड़े वर्ग को लेकर कोई व्यापक डेटा नहीं आया है। इससे आरक्षण लागू करने में दिक्कतें आ रही हैं। 1931 के बाद से, हम भारत में कमजोर वर्गों की सटीक जनसंख्या नहीं जानते हैं। राष्ट्रीय जनगणना में भी कमजोर वर्ग की गिनती शामिल नहीं की गयी है। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने वादा किया था कि जाति सर्वेक्षण कराया जाएगा। उस वादे को निभाते हुए, जैसे ही कांग्रेस राज्य में सत्ता में आई, हमने जाति सर्वेक्षण के लिए विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया।
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सीएम ने कहा कि राहुल गांधी ने वादा किया है कि जितनी आबादी, उतनी हिसदारी। राहुल गांधी ने केंद्र से जाति जनगणना कराने की मांग की, लेकिन केंद्र आगे नहीं आया। राहुल गांधी ने पहले कहा था कि अगर कांग्रेस तेलंगाना में सत्ता में आती है तो हम जाति जनगणना कराएंगे और राजनीतिक आरक्षण और नौकरी में आरक्षण देंगे। यह एक एक्स-रे है। उन्होंने कहा कि हमने अब जाति सर्वेक्षण पूरा कर लिया है और आज सदन में रिपोर्ट पेश की है।’ प्रगणकों ने हर गांव और थांडा से बहुत अच्छी तरह से डेटा एकत्र किया। प्रत्येक 150 घरों को एक इकाई माना गया और एक गणनाकार को जानकारी इकट्ठा करने का काम सौंपा गया।