इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को संभल में जामा मस्जिद के परिसर को साफ करने का निर्देश दिया, लेकिन मस्जिद की सफेदी करने का आदेश पारित नहीं किया। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने यह आदेश जामा मस्जिद प्रबंधन समिति के एक आवेदन पर पारित किया, जिसमें रमजान से पहले मस्जिद की सफेदी और सफाई की अनुमति मांगी गई थी। गुरुवार को अदालत ने एएसआई को मस्जिद स्थल का तुरंत निरीक्षण करने और तीन अधिकारियों की एक टीम नियुक्त करने का निर्देश दिया, जो शुक्रवार सुबह 10 बजे तक इस संबंध में एक रिपोर्ट पेश की।
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एएसआई की रिपोर्ट के मुताबिक, मस्जिद के अंदरूनी हिस्से में सिरेमिक पेंट है और फिलहाल इसे सफेद करने की कोई जरूरत नहीं है। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान मस्जिद समिति की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एस एफ ए नकवी ने कहा कि वे चाहते हैं कि केवल सफेदी और रोशनी का काम किया जाए। इस पर कोर्ट ने एएसआई को परिसर में धूल साफ करने और घास साफ करने को कहा। नकवी ने अदालत को आश्वासन दिया कि सफाई के दौरान कोई बाधा उत्पन्न नहीं की जाएगी जबकि राज्य के महाधिवक्ता ने कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखी जाएगी।
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संभल पुलिस ने इस दावे का विरोध करते हुए तर्क दिया कि समिति को किसी भी रखरखाव कार्य के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से अनुमति की आवश्यकता है। जवाब में, मस्जिद अधिकारियों ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और कहा कि अतीत में अन्य विशेष अवसरों के लिए भी इसी तरह का काम किया गया था। मस्जिद अधिकारियों ने यह भी दावा किया कि पुलिस की आपत्ति ने धार्मिक गतिविधियों का स्वतंत्र रूप से अभ्यास करने और प्रबंधन करने के उनके अधिकार का उल्लंघन किया है, जिसकी गारंटी संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 द्वारा दी गई है।