Saraswati Puja 2025: इस साल सरस्वती पूजा (बसंत पंचमी) की तिथि को लेकर असमंजस बना हुआ है। कुछ पंचांगों के अनुसार यह 2 फरवरी 2025 को मनाई जानी चाहिए, जबकि अधिकांश विद्वान और प्रमुख पंचांग 3 फरवरी 2025 को इसे सही मान रहे हैं।
इस उलझन ने आम लोगों को असमंजस में डाल दिया है कि सरस्वती पूजा 2 फरवरी को करें या 3 फरवरी को? आइए, इस विवाद को शास्त्रों और पंचांगों के आधार पर समझते हैं।
क्यों हो रहा है सरस्वती पूजा की तिथि को लेकर भ्रम?
सरस्वती पूजा का निर्धारण चंद्र कैलेंडर (पंचांग) के आधार पर किया जाता है। पंचांग में माघ शुक्ल पंचमी तिथि को ही बसंत पंचमी और देवी सरस्वती की पूजा की जाती है।
इस साल पंचमी तिथि दो दिनों में पड़ रही है:
2 फरवरी को पंचमी तिथि सुबह 9:15 बजे से शुरू हो रही है और 3 फरवरी को सुबह 6:53 बजे तक रहेगी।
दूसरे पंचांगों के अनुसार, 2 फरवरी को रात 12:45 बजे पंचमी तिथि शुरू होगी और 3 फरवरी को सुबह 11:48 बजे समाप्त होगी।
इसी कारण, कुछ लोग 2 फरवरी को पूजा की बात कर रहे हैं, जबकि अन्य का मानना है कि 3 फरवरी को उदया तिथि होने के कारण यही सही दिन होगा।
क्या कह रहे हैं प्रमुख पंचांग और विद्वान?
3 फरवरी को सरस्वती पूजा करना ज्यादा शुभ क्यों?
- ऋषिकेश पंचांग, वैदेही पंचांग और दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय पंचांग के अनुसार, पंचमी तिथि 2 फरवरी को मध्यरात्रि 12:45 बजे शुरू होकर 3 फरवरी को 11:48 बजे समाप्त होगी।
- शास्त्रों के अनुसार, किसी भी पर्व और पूजा का निर्णय ‘उदया तिथि’ (सूर्योदय के समय जो तिथि हो) के आधार पर लिया जाता है।
- इस हिसाब से 3 फरवरी को सरस्वती पूजा करना ही शास्त्र सम्मत होगा।
यही कारण है कि 3 फरवरी को कुंभ मेले का अंतिम शाही स्नान भी रखा गया है, जो इस दिन के महत्व को और बढ़ा देता है।
2 फरवरी को भी हो सकती है पूजा?
- पंचांग दिवाकर और कुछ अन्य पंचांगों के अनुसार, पंचमी तिथि 2 फरवरी को सुबह 9:15 बजे शुरू हो रही है और 3 फरवरी को सुबह 6:53 बजे समाप्त होगी।
- इसलिए, कुछ लोग 2 फरवरी को भी पूजा करने का सुझाव दे रहे हैं।
हालांकि, अधिकतर विद्वानों और पंचांगों के अनुसार, उदया तिथि के आधार पर 3 फरवरी को पूजा करना ज्यादा उचित रहेगा।
सरस्वती पूजा 2025 के लिए शुभ मुहूर्त
तारीख | सरस्वती पूजा का मुहूर्त | पंचमी तिथि का समय |
---|---|---|
2 फरवरी | सुबह 9:15 बजे से | 2 फरवरी सुबह 9:15 बजे से 3 फरवरी सुबह 6:53 बजे तक |
3 फरवरी | सुबह 7:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक | 2 फरवरी रात 12:45 बजे से 3 फरवरी सुबह 11:48 बजे तक |
अधिकतर विद्वानों और पंचांगों के अनुसार, 3 फरवरी को पूजा करना शुभ रहेगा, लेकिन 2 फरवरी को भी पूजा करने की अनुमति दी जा सकती है।
कुंभ मेले से जुड़ रहा है सरस्वती पूजा का महत्व
इस बार सरस्वती पूजा 3 फरवरी को इसलिए भी खास है क्योंकि इस दिन प्रयागराज के कुंभ मेले में तीसरा और अंतिम शाही स्नान होगा।
- कुंभ मेले में तीसरा शाही स्नान बहुत महत्वपूर्ण होता है, और जब यह बसंत पंचमी के दिन पड़ता है, तो इसका महत्व और बढ़ जाता है।
- लाखों श्रद्धालु इस दिन गंगा स्नान करके पुण्य अर्जित करेंगे।
अगर आप प्रयागराज कुंभ में हैं, तो 3 फरवरी को संगम में स्नान कर सरस्वती पूजा कर सकते हैं, जिससे आपको दोगुना लाभ मिलेगा।
सरस्वती पूजा का महत्व
सरस्वती पूजा शिक्षा, ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती की आराधना का पर्व है।
- इस दिन विद्यार्थी, कलाकार, लेखक और संगीतकार देवी सरस्वती की पूजा करते हैं।
- कई जगहों पर बच्चों को पहली बार अक्षर लिखने (विद्यारंभ) की परंपरा भी होती है।
- पीले रंग के वस्त्र पहनना और सरस्वती माता को पीले फूल और हल्दी अर्पित करना शुभ माना जाता है।