हरियाणा की सियासत में इन दिनों जबरदस्त हलचल मची हुई है। राज्य के सबसे वरिष्ठ मंत्री अनिल विज ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। ग्रीवेंस कमेटी के आदेशों की अनदेखी, विधानसभा चुनाव के दौरान उनके खिलाफ साजिश, हमला करवाने और हारने की कोशिश करने वाले अधिकारियों पर कोई कार्रवाई न होने से नाराज विज के तीखे तेवरों ने मुख्यमंत्री नायब सैनी की सरकार को बैकफुट पर ला दिया है।
सरकार ने डैमेज कंट्रोल के तहत अंबाला के डीसी (कलेक्टर) पार्थ गुप्ता को हटाकर अजय सिंह तोमर को उनकी जगह जिम्मेदारी सौंप दी है। पार्थ गुप्ता को अब यमुनानगर का डीसी बनाया गया है। इसके साथ ही हरियाणा सरकार ने कुल 8 आईएएस अधिकारियों का तबादला कर दिया है। लेकिन ऐसा लगता है कि अनिल विज इतने से संतुष्ट नहीं हैं।
अनिल विज का बड़ा आरोप – “मेरे खिलाफ साजिश के पीछे किसी बड़े नेता का हाथ”
अनिल विज ने खुलकर राजनीतिक साजिश का आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव के दौरान उन्हें हराने की कोशिश की गई, उन पर हमला करवाया गया, यहां तक कि मरवाने की भी साजिश रची गई।
उन्होंने कहा:
“पहले मुझे शक था कि मेरे खिलाफ यह साजिश कोई बड़ा नेता कर रहा है। लेकिन अब मुझे पूरा यकीन हो गया है कि इसके पीछे कोई बड़ा नेता ही है। मैंने इसकी शिकायत हाईकमान से भी की थी, लेकिन 100 दिन बीतने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।”
इसके अलावा, विज ने सीधे सीएम नायब सैनी पर निशाना साधते हुए कहा:
“जब से नायब सैनी मुख्यमंत्री बने हैं, वे सिर्फ हेलिकॉप्टर पर घूमते हैं। अगर हेलिकॉप्टर से नीचे उतरेंगे, तो लोगों के दुख-दर्द सुनेंगे।”
ग्रीवेंस कमेटी की बैठक का किया बहिष्कार, दी अनशन की चेतावनी
अनिल विज ने नाराजगी जाहिर करते हुए ग्रीवेंस कमेटी की बैठकों में शामिल न होने का ऐलान कर दिया है। उनका कहना है कि “जब मेरे दिए आदेशों को लागू ही नहीं किया जाता, तो इन बैठकों का कोई मतलब नहीं है।”
कुछ दिन पहले, विज ने अंबाला कैंट सदर थाने के एसएचओ को सस्पेंड करने का आदेश दिया था, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। चूंकि गृह मंत्रालय खुद मुख्यमंत्री नायब सैनी के पास है, इसलिए विज इसे अपनी अनदेखी मान रहे हैं।
उन्होंने यहां तक चेतावनी दी कि अगर जरूरत पड़ी, तो वह किसान नेता जगजीत डल्लेवाल की तरह अनशन करने के लिए भी तैयार हैं।
इस बार सीधा हमला – पहली बार नाम लेकर बोले अनिल विज
जब मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया था, तब से ही अनिल विज असंतुष्ट नजर आ रहे थे। उस समय वे विधायक दल की बैठक बीच में ही छोड़कर अंबाला लौट गए थे। विज का मानना था कि हरियाणा में सबसे वरिष्ठ नेता होने के नाते मुख्यमंत्री पद के वे सबसे बड़े दावेदार थे।
लेकिन नायब सैनी के सीएम बनने के बाद उन्हें कैबिनेट में भी जगह नहीं मिली। बाद में विधानसभा चुनाव में अंबाला कैंट से टिकट मिलने के बाद वे सातवीं बार विधायक बने और उन्हें परिवहन और ऊर्जा मंत्रालय दिया गया।
अब तक विज सीधे-सीधे किसी का नाम नहीं ले रहे थे, लेकिन इस बार उन्होंने खुलकर मुख्यमंत्री नायब सैनी का नाम लेकर निशाना साधा है। यह साफ इशारा करता है कि सीएम सैनी और अनिल विज के बीच सबकुछ ठीक नहीं है।
सीएम नायब सैनी ने दी सफाई – “अनिल विज हमारे नेता हैं”
अनिल विज के तल्ख तेवरों के बीच मुख्यमंत्री नायब सैनी ने विवाद को ज्यादा तूल न देने की कोशिश की।
रोहतक के जाट कॉलेज में आयोजित दीनबंधु छोटूराम की 144वीं जयंती समारोह में जब पत्रकारों ने उनसे अनिल विज के अनशन वाले बयान पर सवाल पूछा, तो उन्होंने इसे टालते हुए सिर्फ इतना कहा:
“अनिल विज हमारे नेता हैं।”
हालांकि, सियासी हलकों में इस बयान को डैमेज कंट्रोल की कोशिश माना जा रहा है, लेकिन जिस तरह से अनिल विज लगातार सीधे मुख्यमंत्री पर निशाना साध रहे हैं, उससे हरियाणा की राजनीति में नया सियासी मोड़ आ सकता है।
क्या अनिल विज सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनेंगे?
अनिल विज हरियाणा की राजनीति के सबसे मजबूत और बेबाक नेताओं में से एक हैं। वह अपनी सरकार के खिलाफ भी बोलने से पीछे नहीं हटते। इस बार उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री नायब सैनी पर निशाना साधकर बड़ा राजनीतिक संदेश दिया है।
अब सवाल यह है कि क्या अनिल विज सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं?
- क्या अनिल विज कोई बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रहे हैं?
- क्या बीजेपी नेतृत्व इस विवाद को शांत कराने के लिए हस्तक्षेप करेगा?
- क्या अनिल विज अपनी नाराजगी दिखाने के लिए कोई बड़ा सियासी फैसला लेंगे?
हरियाणा की राजनीति में यह विवाद अब बड़ा मोड़ ले सकता है। अब देखना यह होगा कि बीजेपी नेतृत्व अनिल विज की नाराजगी को कैसे संभालता है और मुख्यमंत्री नायब सैनी इस चुनौती से कैसे निपटते हैं।