Wednesday, March 26, 2025
spot_img
Homeराष्ट्रीय'हिंदी मुखौटा है, संस्कृत चेहरा है', भाषाविवाद के बीच स्टालिन का दावा,...

‘हिंदी मुखौटा है, संस्कृत चेहरा है’, भाषाविवाद के बीच स्टालिन का दावा, हिंदी ने 25 भाषाओं को किया खत्म

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने गुरुवार को ‘हिंदी थोपने’ विवाद में केंद्र पर दबाव बढ़ाते हुए दावा किया कि अन्य राज्यों में भाषा को जबरन अपनाने से 100 वर्षों में 25 मूल उत्तर भारतीय भाषाएं नष्ट हो गईं। सत्तारूढ़ भाजपा ने तुरंत पलटवार करते हुए इस टिप्पणी को ”मूर्खतापूर्ण” बताते हुए खारिज कर दिया। स्टालिन ने कहा था कि ‘अखंड हिंदी पहचान’ के लिए दबाव ही प्राचीन भाषाओं को खत्म करता है। उत्तर प्रदेश और बिहार कभी भी ‘हिंदी हार्टलैंड’ नहीं थे… उनकी वास्तविक भाषाएं अब अतीत के अवशेष हैं।”
 

इसे भी पढ़ें: भ्रष्टाचार को लेकर DMK पर बरसे Amit Shah, कहा- 2026 में तमिलनाडु में बनेगी NDA सरकार

गुरुवार की सुबह एक्स पर एक पोस्ट में, उन्होंने केंद्र की भी आलोचना की – जिसने तमिल राजनीतिक नेताओं पर 2026 के चुनाव से पहले एक अनुकूल राजनीतिक कथा बनाने के लिए तथ्यों को तोड़ने-मरोड़ने का आरोप लगाकर ‘हिंदी थोपने’ की आलोचना की थी – “नस्ल और संस्कृति को नष्ट करने के लिए भाषाओं पर हमला करने” के लिए। द्रविड़ मुनेत्र कड़गम नेता ने हिंदी को ‘थोपने’ पर अपनी पार्टी की कुछ आपत्तियों को रेखांकित किया, जिसमें यह दावा भी शामिल था कि केंद्र – यह कहने के स्पष्ट विरोधाभास में कि किसी भी राज्य में स्कूली छात्र कोई भी भाषा सीख सकते हैं – वास्तव में तमिल को एक विषय के रूप में पेश नहीं करता है।
पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित एक पत्र में उन्होंने कहा, ‘‘हम हिंदी थोपने का विरोध करेंगे। हिंदी मुखौटा है, संस्कृत छिपा हुआ चेहरा है।’’ सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने आरोप लगाया है कि केंद्र राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में तीन-फार्मूले के माध्यम से हिंदी को थोपने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, केंद्र सरकार ने इस आरोप का खंडन किया है। पत्र में स्टालिन ने दावा किया कि बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बोली जाने वाली मैथिली, ब्रजभाषा, बुंदेलखंडी और अवधी जैसी कई उत्तर भारतीय भाषाओं को ‘‘आधिपत्यवादी हिंदी ने नष्ट कर दिया है।’’ 
 

इसे भी पढ़ें: स्टालिन का आरोप, भाषा युद्ध के बीज बो रहा है केंद्र, राज्य पर हिंदी नहीं थोपने देंगे, अन्नामलाई ने किया पलटवार

सत्तारूढ़ द्रमुक के प्रमुख ने कहा, ‘‘आधिपत्यवादी हिंदी-संस्कृत भाषाओं के हस्तक्षेप से 25 से अधिक उत्तर भारतीय मूल भाषाएं नष्ट हो गई हैं। जागरुकता के कारण सदियों पुराने द्रविड़ आंदोलन और विभिन्न आंदोलनों ने तमिलों और उनकी संस्कृति की रक्षा की।’’ उन्होंने कहा कि तमिलनाडु एनईपी का विरोध कर रहा है क्योंकि केंद्र शिक्षा नीति के माध्यम से हिंदी और संस्कृत को थोपने की कोशिश कर रहा है। एनईपी के अनुसार तीसरी विदेशी भी हो सकती है, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के इस दावे का जवाब देते हुए स्टालिन ने दावा किया कि त्रिनीति कार्यक्रम के अनुसार, ‘‘कई राज्यों में केवल संस्कृत को बढ़ावा दिया जा रहा है।’’ 
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments