उत्तर प्रदेश की दुष्कर्म पीड़िता के पिता ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर खुद को भगवान बताने वाले और रेप के दोषी आसाराम को गुजरात हाई कोर्ट से मिली छह महीने की बेल रद्द करने की मांग की है। आसाराम (84) को पहली बार 2013 में गिरफ्तार किया गया था, जब शाहजहांपुर की एक 16 साल की लड़की ने उन पर राजस्थान के जोधपुर में उनके आश्रम में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। 2018 में पोस्को एक्ट के तहत दोषी ठहराए जाने के बाद आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। 2023 में गुजरात में उनकी आखिरी सजा के बाद एक और उम्रकैद की सजा हुई। पीड़िता के पिता ने सोमवार को दावा किया कि जबसे आसाराम को जमानत मिली है, तबसे वह डरे हुए हैं और उन्हें धमकियां मिल रही हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आसाराम बीमार नहीं हैं।
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वकील का तर्क
वकील ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि अगस्त में, उच्च न्यायालय ने एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया था, जिसने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि आसाराम की हालत स्थिर है और उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है। जोसेफ ने यह भी तर्क दिया कि चिकित्सा आधार पर ज़मानत पाने वाले आसाराम अहमदाबाद, जोधपुर और इंदौर सहित अन्य स्थानों की यात्रा कर रहे हैं। वकील ने बताया कि आसाराम ऋषिकेश से महाराष्ट्र भी गए थे। जोसेफ ने बताया कि आसाराम ने कभी किसी अस्पताल में लंबे समय तक इलाज नहीं कराया। उन्होंने आगे बताया कि आसाराम जोधपुर में आयुर्वेदिक उपचार ले रहे हैं और उन्हें कोई बीमारी नहीं है।
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राजस्थान और गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा ज़मानत
29 अक्टूबर को राजस्थान उच्च न्यायालय ने नाबालिग से बलात्कार के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम को चिकित्सा आधार पर छह महीने की ज़मानत दे दी। आसाराम के वकील देवदत्त कामत ने तर्क दिया कि वह लंबे समय से बीमार हैं और जेल में उनका उचित इलाज संभव नहीं है। इसलिए, बिना हिरासत के उन्हें ज़मानत देने से उनके इलाज में मदद मिलेगी। एक हफ़्ते बाद, 6 नवंबर को, गुजरात उच्च न्यायालय ने भी आसाराम को ज़मानत दे दी। उनके वकील ने राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश को पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया और विचार करने का अनुरोध किया।

