पहलगाम आतंकी हमले के बाद से कांग्रेस और सांसद शशि थरूर के बीच चल रहा मनमुटाव अब खुलकर सामने आ गया है। थरूर ने एक बार फिर कांग्रेस को अपना अडिग रवैया दिखाया है। हाल ही में एक छात्र के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने साफ कह दिया कि चाहे जितनी आलोचना हो, वह अपने रुख पर कायम रहेंगे, क्योंकि उनका मानना है कि यह देश के लिए सही है।
तिरुवनंतपुरम से सांसद थरूर कोच्चि में एक कार्यक्रम में थे, तभी एक हाई स्कूल के छात्र ने उनसे पार्टी के साथ उनके असहज संबंधों के बारे में सवाल पूछ लिया। थरूर ने अपनी टिप्पणी का वीडियो शेयर करते हुए ‘एक्स’ पर लिखा, ‘हालांकि मैं ऐसी राजनीतिक चर्चाओं से दूर रहता हूं, लेकिन मुझे लगा कि एक छात्र को जवाब मिलना चाहिए।’
उन्होंने अपनी बात समझाते हुए कहा, ‘दुर्भाग्य से, या जैसे भी कह लें, किसी भी लोकतंत्र में राजनीति हमेशा प्रतिस्पर्धा पर आधारित होती है। जब मेरे जैसे लोग कहते हैं कि हम अपनी पार्टियों का सम्मान करते हैं, हमारे कुछ ऐसे मूल्य और विश्वास हैं जो हमें अपनी पार्टियों में बनाए रखते हैं, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में हमें दूसरी पार्टियों के साथ भी सहयोग करने की जरूरत है – जैसा कि आपने पूछा – तो कभी-कभी पार्टियों को लगता है कि यह उनके प्रति बेवफाई है। और यह एक बडी समस्या बन जाती है।’ उन्होंने यह बात अपनी ही पार्टी के नेताओं द्वारा उन पर निशाना साधने का जिक्र करते हुए कही।
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थरूर ने आगे कहा, ‘आपकी पहली वफादारी किसके प्रति है? मेरे हिसाब से, राष्ट्र सबसे ऊपर है। पार्टियां राष्ट्र को बेहतर बनाने का एक जरिया हैं। इसलिए, मेरे विचार में, आप जिस भी पार्टी से हों, उस पार्टी का मकसद अपने तरीके से एक बेहतर भारत बनाना है।’
उन्होंने जोर देकर कहा कि पार्टियों को इस बात पर असहमत होने का पूरा अधिकार है कि बेहतर भारत बनाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है। ‘हममें से कुछ ज्यादा पूंजीवाद की बात कर सकते हैं। कुछ लोग ज्यादा समाजवाद की बात कर सकते हैं। कुछ लोग कुछ खास तरह के नियमों के पक्ष में हो सकते हैं। कुछ लोग ज्यादा नियम-कायदों के खिलाफ भी हो सकते हैं। तो आपके अलग-अलग विचार हो सकते हैं। यह ठीक है। लेकिन आखिर में, हम सभी को एक बेहतर भारत, एक सुरक्षित भारत, एक ऐसे भारत के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए जिसकी सीमाएं सुरक्षित हों, जिसका भूभाग सुरक्षित हो, और जिसके लोगों की भलाई सुनिश्चित हो सके। और यही मेरी प्रतिबद्धता है।’
थरूर यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा, ‘और अगर हम इस आदर्श को अपनाते हैं, तो यही भावना सभी दलों में होनी चाहिए, न सिर्फ दो दलों में बल्कि बहुदलीय भी। आपने संसद के बारे में पूछा। आज हमारी संसद में 46 राजनीतिक दल हैं। कुछ ऐसे मुद्दे जरूर होंगे जिन पर वे सभी एकजुट हों। यह निश्चित रूप से मेरा दृढ विश्वास है। लेकिन यह आसान नहीं है।’
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पहलगाम हमला और कांग्रेस का रुख
पहलगाम आतंकवादी हमले और भारत के जवाबी हमले, ऑपरेशन सिंदूर के बाद से थरूर लगातार राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के सामने भारत की स्थिति स्पष्ट करते रहे हैं। उनकी बेबाक टिप्पणियों ने आलोचकों को भी उनका प्रशंसक बना दिया, जिन्होंने इस मुश्किल वक्त में दलीय मतभेदों को किनारे रखने के लिए उनकी तारीफ की।
दूसरी ओर, कांग्रेस ने पहले पहलगाम आतंकी हमले के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई में केंद्र को पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया था, लेकिन बाद में उसने अपना रुख बदल लिया। पार्टी ने सरकार से संघर्ष विराम के कारणों पर सफाई देने को कहा और इसमें अमेरिका की भूमिका पर भी सवाल उठाए। इस पृष्ठभूमि में, सरकार का समर्थन करने वाली थरूर की टिप्पणियां उनके पार्टी सहयोगियों को बिल्कुल रास नहीं आईं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद वैश्विक संपर्क अभियान के तहत नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए पूर्व राजनयिक थरूर को चुनने से यह मतभेद और बढ गए।
‘राष्ट्र पहले’ – थरूर का अडिग विश्वास
थरूर ने जोर देकर कहा, ‘जैसा कि आप जानते हैं, अगर आप समाचारों पर नजर रख रहे हैं, तो बहुत से लोग मेरे सशस्त्र बलों और हमारी सरकार के समर्थन में मेरे रुख और हाल ही में हमारे देश और हमारी सीमाओं पर हुई घटनाओं के कारण मेरी कडी आलोचना कर रहे हैं। लेकिन मैं अपनी बात पर अडा रहूंगा क्योंकि मेरा मानना है कि यह देश के लिए सही है। और जब मैं भारत की बात करता हूं, तो मैं सभी भारतीयों की बात करता हूं, न कि केवल उन लोगों की जो मेरी पार्टी को पसंद करते हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘और मेरा मानना है कि यह बात दूसरी पार्टियों पर भी लागू होनी चाहिए। मैं यह सिर्फ अपनी पार्टी से नहीं कह रहा हूं। मैं यह सभी पार्टियों से कह रहा हूं। जब देश खतरे में हो, तो अपने मतभेदों को किनारे रख दीजिए।’
थरूर ने इसके बाद भारत के पहले प्रधानमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज जवाहरलाल नेहरू का हवाला दिया, जो कांग्रेस पार्टी पर एक सूक्ष्म कटाक्ष था। उन्होंने कहा, ‘नेहरू की एक बहुत प्रसिद्ध पंक्ति है जिसे मैं उद्धृत करना बहुत पसंद करता हूं। अगर भारत मर गया तो कौन बचेगा? और यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका कोई उत्तर नहीं है। भारत को पहले आना चाहिए। तभी हम सब जीवित रह सकते हैं।’
खडगे और थरूर का टकराव
इससे पहले, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने थरूर की टिप्पणी पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी और कहा था कि कांग्रेस के लिए ‘देश पहले’ है, लेकिन ‘कुछ लोगों के लिए मोदी पहले’। यह टिप्पणी थरूर द्वारा पहलगाम हमले के बाद भारत के जवाबी हमले, ऑपरेशन सिंदूर, से निपटने के लिए प्रधानमंत्री की प्रशंसा के बाद आई थी। थरूर ने ‘एक्स’ पर एक पक्षी की तस्वीर के साथ एक पोस्ट के जरिए खडगे को जवाब दिया था, जिसमें लिखा था, ‘उडने की इजाजत मत मांगो। पंख तुम्हारे हैं। और आसमान किसी का नहीं है।’