मुंबई में पिछले कुछ दिनों से छाई प्रदूषण की धुंध आज भी कम नहीं हुई, और मौजूद जानकारी के अनुसार हालात लगातार चिंताजनक बने हुए हैं। इसी क्रम में नगर निकाय ने उन इलाकों में ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान–4 (GRAP-4) लागू कर दिया है, जहां हवा की गुणवत्ता लगातार गिरावट में थी। बता दें कि GRAP-4 केवल उन क्षेत्रों में लागू किया जाता है जहां स्थिति बेहद खराब होने लगती है और तत्काल कड़े उपायों की जरूरत पड़ती है।
सोमवार को शहर का कुल मिलाकर AQI 103 दर्ज हुआ, जो ‘मॉडरेट’ श्रेणी में है। लेकिन गौरतलब है कि मझगांव, मालाड और देवनार जैसे स्थान पूरे नवंबर में ‘खराब’ से ‘बेहद खराब’ वायु गुणवत्ता झेलते रहे हैं। इसी कारण बीएमसी ने इन जोनों में धूल फैलाने वाली निर्माण गतिविधियों पर तुरंत रोक लगाने का निर्णय लिया है।
बीएमसी अधिकारियों के अनुसार 95 उड़न दस्तों ने अब तक 70 से अधिक निर्माण स्थलों का निरीक्षण किया और नियमों का पालन न करने पर 53 साइटों पर काम बंद कराने के नोटिस जारी किए हैं। इन निरीक्षणों में बीएमसी की 28-बिंदु निर्माण दिशानिर्देशों के उल्लंघन प्रमुख कारण रहे हैं। उड़न दस्तों की निगरानी आगे भी जारी रहेगी।
साथ ही, जिन क्षेत्रों में AQI लगातार ‘खराब’ रहा जैसे बोरिवली पूर्व, मालाड पश्चिम, चाकला (अंधेरी पूर्व), देवनार, मझगांव, नेवी नगर, मुलुंड पश्चिम और पवई वहां सड़कों की सफाई, वॉटर स्प्रिंकलिंग और धूल-नियंत्रण उपायों को बढ़ाया गया है। छोटे पैमाने के प्रदूषणकारी उद्योगों को चेतावनी दी गई है कि नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा।
बता दें कि बेकरी मालिकों को प्रदूषणकारी चिमनियां हटाने के निर्देश दिए गए हैं, जबकि अंधेरी पूर्व के चाकला क्षेत्र की मार्बल कटिंग यूनिट्स को साफ-सुथरी तकनीक अपनाने को कहा गया है। इसके अलावा बीएमसी के ठोस अपशिष्ट प्रबंधन विभाग के 450 जूनियर सुपरवाइज़रों को भी तत्काल जुर्माना लगाने की शक्ति दे दी गई है, ताकि कचरा जलाने, प्लास्टिक जलाने और सड़क पर मलबा फेंकने जैसी गतिविधियों को रोका जा सके।
इधर, बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में महाराष्ट्र सरकार के उस तर्क को स्वीकारने से इनकार कर दिया जिसमें कहा गया था कि इथियोपिया में ज्वालामुखी विस्फोट के कारण मुंबई में प्रदूषण बढ़ा है। अदालत ने कहा कि “इससे पहले भी शहर में 500 मीटर से अधिक की दृश्यता मिलना मुश्किल था,” इसलिए इसकी जिम्मेदारी स्थानीय कारकों की ही है। बाद में न्यायालय ने निर्माण स्थलों का निरीक्षण करने के लिए पांच सदस्यीय स्वतंत्र समिति गठित करने का भी आदेश दिया है।
इन सबके बीच शहर में प्रदूषण नियंत्रण को लेकर सख्ती बढ़ा दी गई है, और उम्मीद जताई जा रही है कि इन उपायों से हवा की गुणवत्ता में धीरे-धीरे सुधार देखने को मिलेगा, हालांकि फिलहाल हालात गंभीर ही बने हुए हैं। अभी के लिए प्रशासन की निगरानी और त्वरित कार्रवाई ही मुंबई को प्रदूषण के इस दवाब से राहत दिलाने का एकमात्र रास्ता मानी जा रही हैं।

