सक्षम की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद् की बैठक के आयोजन का सौभाग्य इस वर्ष हरियाणा प्रान्त को प्राप्त हुआ । दिनांक 07 से 09 नवंबर तक यह एक त्रिदिवसीय कार्यक्रम पट्टी कल्याणा, समालखा (पानीपत) में संपन्न हुआ। प्रथम दिवस अर्थात् 07 नवम्बर को यह विशुद्ध रूप से केन्द्रीय कार्यकारिणी की बैठक रही जिसमें केवल केन्द्रीय कार्यकारिणी के माननीय सदस्यों व आमंत्रित सदस्यों ने भाग लिया।
तदोपरांत दिनांक 08 नवम्बर से देश भर से हर प्रान्त से प्रतिनिधियों का आगमन होने लगा। उनके पंजीकरण के बाद राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद की बैठक आरम्भ हुई। उद्घाटन सत्र में माननीय अध्यक्ष दयाल सिंह पंवार, माननीय क्षेत्र संचालक पवन जिंदल, राष्ट्रीय महासचिव उमेश अंधारे, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष सतीश अग्रवाल, प्रीतिताई पोहेकर, हरियाणा के प्रांतीय अध्यक्ष नरेन्द्र बत्रा, अनुज अग्रवाल, उद्योगपति एवं पर्यावरण-प्रेमी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसचिव राजकुमार मटाले जी मुख्य वक्ता के रूप में मंच पर आसीन रहे।
संगठन मंत्र के बाद सभी ने सक्षम के उद्देश्यों, किए गए कार्यों, दृष्टिकोण, परिकल्पना, भविष्य की योजनाओं व अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर अपने-अपने उद्बोधन दिए। हरियाणा के प्रभारी देवेंद्र सिंह जी ने एक सुंदर एकल गीत प्रस्तुत किया।
दूसरे सत्र में राष्ट्रीय महासचिव उमेश अंधारे जी ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया और प्रान्तानुसार भाग लेने वाले प्रतिनिधियों से पूछताछ, पहली बार भाग लेने वाले प्रतिनिधियों का संक्षिप्त परिचय आदि हुआ।
इस अवसर पर प्रकाशित स्मारिका “दिव्यांग अभ्युदय” का मंचासीन विभूतियों द्वारा विमोचन किया गया।
तृतीय सत्र में सक्षम के प्रकोष्ठों पर वक्ताओं ने विचार रखे और कार्यों की समीक्षा की। धीमहि, प्रणव, सविता, प्राणदा, दृष्टि प्रकोष्ठों पर मंचासीन वक्ताओं ने अपने अपने-अपने वक्तव्य दिए। सक्षम पाठशाला की शिक्षा सलाहकार डॉक्टर कीर्ति मुंजाल ने दिव्यांगों को शिक्षा व स्वावलंबी बनाने में पाठशाला की भूमिका का वर्णन करते हुए ज्यादा से ज्यादा दिव्यांगजन को पाठशाला से जोड़ने का आग्रह किया।
समारोह के दूसरे दिन अर्थात् 09 नवम्बर को कृष्ण बेदी जी, आदरणीय मंत्री, सामाजिक न्याय और आधिकारिकता विभाग, हरियाणा सरकार समारोह में पधारे। उन्होंने अपने उद्बोधन में हरियाणा सरकार से हर प्रकार का सहयोग दिलवाने का आश्वासन दिया तथा दिव्यागों के कल्याण बारे अपनी ओर से हर सम्भव सहायता की बात कही।
अगले सत्र में राष्ट्रीय अध्यक्ष दयाल सिंह पंवार जी, राष्ट्रीय संगठन सचिव श्री चंद्रशेखर जी, राष्ट्रीय महासचिव उमेश अंधारे जी और कमलाकांत जी आदि उपस्थित रहे। इस सत्र में संगठन मंत्र के महत्व को बताते हुए चंद्रशेखर जी ने इस मंत्र को न केवल कंठस्थ करने अपितु इसमें निहित भावनाओं व उद्देश्यों को आत्मसात करने पर बल दिया। कार्यकर्ता की भूमिका क्या होनी चाहिए, पर्यावरण, समरसता, कुटुम्ब प्रबोधन, स्वदेशी, नागरिक कर्तव्य, विमर्श और सुपोषण आदि विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई। दिव्यांग सेवा केन्द्रों की स्थापना, उनकी संरचना, इन केन्द्रों द्वारा दी जाने वाली सेवाओं के अतिरिक्त सभी प्रान्तों को अपनी-अपनी कार्यकारिणी अतिशीघ्र पूर्ण करने की बात कही गई। कार्यकारिणी में दिव्यागों को 40% सहभागिता पर भी बल दिया गया। ऐसे अनेक अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर भी विस्तार से विचार-विमर्श हुआ।
अगले सत्र में सभी उच्च दायित्वधारियों द्वारा कोषाध्यक्षों, सचिवों, सह सचिवों, महिला प्रमुखों आदि द्वारा प्रस्तुत कठिनाइयों पर चर्चा की गई तथा अन्य समस्याओं व प्रश्नों के उत्तर और समाधान सुझाए गए। अन्तिम सत्र में कुछ नए दायित्वों, दायित्वों में परिवर्तन और बढ़ोत्तरी बारे अध्यक्ष जी ने सूचना दी। अन्त में समारोह में अपनी निष्काम सेवाएं देने वाले स्थानीय छात्र-छात्राओं और अन्य सेवाएं देने वालों को मंच पर बुला कर सम्मानित किया गया। तदोपरांत हरियाणा प्रान्त के अध्यक्ष श्री नरेन्द्र बत्रा जी द्वारा सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया गया और समारोह का समापन इसी के साथ सम्पन्न हो गया।

