महाभारत में भीष्म पितामह का किरदार न केवल सम्मानीय था बल्कि बेहद शक्तिशाली भी था। कहा जाता है कि भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान था, जो उन्हें उनके पिता महाराज शांतनु ने दिया था। बिहार चुनाव के बाद 20 सालों से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान नीतीश कुमार को लेकर अब कुछ ऐसा ही मीम सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल मीम में कहा जा रहा है कि भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। ठीक उसी तरह नीतीश कुमार को इच्छा हार का वरदान प्राप्त है। यानी वो खुद से ही हार सकते हैं और कोई उन्हें हरा नहीं सकता। बिहार में लगातार हो रहे चुनाव में इसकी कुछ झलक जरूर नजर आती है।
इसे भी पढ़ें: भाग्य में ही CM बनना नहीं लिखा है… लालू ने मारा था ताना, नीतीश ने फिर इस अंदाज में दिया जवाब
एनडीए ने 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में 200 सीटों का आंकड़ा पार कर लिया और एक ऐसा व्यापक जनादेश लिखा जिसने महागठबंधन का सफाया कर दिया। शुरुआती बढ़त जल्द ही एक बेतहाशा उछाल में बदल गई, जिससे नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला गठबंधन राज्य में अपने सबसे प्रभावशाली प्रदर्शन के कगार पर पहुँच गया। मतगणना सुबह 8 बजे शुरू हुई और डाक मतपत्रों ने तुरंत ही एनडीए की ओर रुख मोड़ दिया। कुछ ही घंटों में, रुझानों में भाजपा, जिसने बराबर सीटों के बंटवारे पर ज़ोर दिया था, ने जेडी(यू) पर महत्वपूर्ण बढ़त बना ली। भगवा पार्टी के इस मज़बूत प्रदर्शन ने अब इस बात पर अटकलें लगानी शुरू कर दी हैं कि आगे चलकर गठबंधन में “बड़े भाई” की भूमिका कौन निभाएगा।
इसे भी पढ़ें: NDA को मिली सीटों से नीतीश गदगद, PM Modi का जताया आभार, बोले- विकसित राज्यों की श्रेणी में शामिल होगा बिहार
विपक्ष के लिए, यह चुनाव विनाशकारी साबित हुआ। तेजस्वी यादव की राजद, जो पिछली बार सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, एनडीए की लहर में बिखर गई और अपनी आधी से ज़्यादा सीटें गँवा बैठी। कांग्रेस को फिर से संघर्ष करना पड़ा, जिससे महागठबंधन की सबसे कमज़ोर कड़ी के रूप में उसकी स्थिति और मज़बूत हो गई। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी, जिसे कुछ हलकों में संभावित विघटनकारी माना जा रहा था, चुनावी सफलता हासिल करने में नाकाम रही और “फर्श पार” साबित हुई।

