आर्थिक सर्वेक्षण 2025: संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2025 के अनुसार सरकार ने वर्ष 2025 में सोने की कीमतों में गिरावट और चांदी की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना जताई है। यह पूर्वानुमान अक्टूबर 2024 के लिए विश्व बैंक की ‘कमोडिटी मार्केट्स आउटलुक’ रिपोर्ट पर आधारित है। रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में कमोडिटी बाजार की कीमतों में 5.1% और 2026 में 1.7% की गिरावट आ सकती है। यह गिरावट मुख्य रूप से कच्चे तेल के टूटने के कारण होगी। हालाँकि, प्राकृतिक गैस की बढ़ती कीमतें तथा धातुओं और कृषि उत्पादों की कीमतें कुछ हद तक इस गिरावट की भरपाई कर सकती हैं।
चांदी की कीमत बढ़ने की संभावना
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार सोने की कीमत में गिरावट और चांदी की कीमत में बढ़ोतरी की संभावना है। इसके अलावा लोहा और जस्ता की कीमतों में गिरावट के कारण धातुओं और खनिजों की कीमत में कमी आ सकती है। देश में कई आवश्यक वस्तुएँ आयात की जाती हैं। सर्वेक्षण के अनुसार, वस्तुओं की कीमतों में गिरावट घरेलू मुद्रास्फीति के लिए सकारात्मक हो सकती है। इससे आयात लागत कम होगी और देश की अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।
सोने की मांग और विदेशी मुद्रा भंडार पर प्रभाव
2024 में वैश्विक अनिश्चितता बढ़ने के कारण विदेशी मुद्रा भंडार में बदलाव हुआ है। 2024 में स्वर्ण भंडार का स्तर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उच्चतम स्तर पर पहुंच जाएगा। इसका मुख्य कारण तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंकों द्वारा बड़े पैमाने पर सोने की खरीद होगी। भारत में सोने के आयात में वृद्धि का कारण वैश्विक स्तर पर सोने की ऊंची कीमतें, त्योहारों से पहले की खरीदारी और सुरक्षित निवेश विकल्पों की तलाश भी है।
डॉलर पर निर्भरता कम हुई
आईएमएफ के अनुसार, वैश्विक विदेशी मुद्रा भंडार प्रणाली धीरे-धीरे बदल रही है। डॉलर का प्रभुत्व घट रहा है और गैर-पारंपरिक मुद्राओं की भूमिका बढ़ रही है। सर्वेक्षण में यह सुझाव दिया गया है कि सोने की कीमतों में अनुमानित गिरावट से निवेशकों की भावना पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। इसके विपरीत, चांदी की कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद से सर्राफा बाजार उत्साहित हो सकता है।