पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के एक प्रतिनिधि और जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के दोषी द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को आतंकवादी घोषित करने के अमेरिका के फैसले के बाद चीन ने सतर्क प्रतिक्रिया दी है। अपने बयान में बीजिंग ने आतंकवाद का मुकाबला करने और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अधिक क्षेत्रीय सहयोग का आह्वान किया। मीडिया को संबोधित करते हुए, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि चीन सभी प्रकार के आतंकवाद का दृढ़ता से विरोध करता है और 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करता है। उन्होंने आगे कहा कि चीन क्षेत्रीय देशों से आतंकवाद-रोधी सहयोग बढ़ाने और क्षेत्रीय सुरक्षा एवं स्थिरता को संयुक्त रूप से बनाए रखने का आह्वान करता है।
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टीआरएफ ने जम्मू-कश्मीर में घातक पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी। अमेरिका ने द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को फॉरेन टेरिरिस्ट ऑर्गनाइजेशन और विशेष रूप से विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) इकाई घोषित किया है। यह क्रमशः आव्रजन एवं राष्ट्रीयता अधिनियम की धारा 219 और शासकीय आदेश 13224 के तहत किया गया है। विदेश मंत्रालय ने लश्कर-ए-तैयबा की एफटीओ के रूप में स्थिति की भी समीक्षा की है और उसे बरकरार रखा है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि टीआरएफ के खिलाफ यह कार्रवाई हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा, आतंकवाद का मुकाबला करने और पहलगाम हमले में न्याय के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रुख पर काम करने की प्रशासन की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
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अमेरिका के इस फैसले की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, खासकर आतंकवादी संगठनों पर प्रतिबंध लगाने वाली एक प्रमुख आतंकवाद-रोधी संस्था 1267 समिति में भी असर देखने को मिल सकता है हालाँकि, 25 अप्रैल को पहलगाम हमले की कड़ी निंदा करने वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बयान के बावजूद, चीन और पाकिस्तान की आपत्तियों के बाद कथित तौर पर टीआरएफ और लश्कर-ए-तैयबा का विशेष उल्लेख नहीं किया गया। कई पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन और व्यक्ति, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम), जमात-उद-दावा (जेयूडी), हाफिज सईद और मसूद अजहर शामिल हैं, पहले से ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 व्यवस्था के तहत प्रतिबंधित हैं, जिसके तहत संपत्ति जब्त, यात्रा प्रतिबंध और हथियार प्रतिबंध लागू होते हैं।
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टीआरएफ ने शुरुआत में पहलगाम हमले की ज़िम्मेदारी ली थी जिसमें 26 लोग मारे गए थे, लेकिन बाद में भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच उसने अपना दावा वापस ले लिया। भारतीय अधिकारी लगातार यह कहते रहे हैं कि टीआरएफ, लश्कर-ए-तैयबा का एक छद्म संगठन है और सीमा पार आतंकवाद में पाकिस्तान की भूमिका को छिपाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। पहलगाम हमले के जवाब में भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया।