पूर्व अलगाववादी नेता बिलाल गनी लोन ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस को उसकी अप्रासंगिकता के लिए जिम्मेदार ठहराया है। लोन ने अलगाववादी समूह को निष्क्रिय कहा है और जम्मू-कश्मीर में गड़बड़ी पैदा करने के लिए पाकिस्तान की आलोचना की है। आज की तारीख में हुर्रियत प्रासंगिक नहीं है। हुर्रियत फंक्शनल भी नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि मानदारी से कहें तो… जब आप आज की तारीख में हुर्रियत की बात करते हैं, तो वह कश्मीर में कहीं भी मौजूद नहीं है। उन्होंने यह स्वीकार करते हुए कि लोगों ने कभी हुर्रियत पर भरोसा जताया था, कहा कि आज की हकीकत अलग है। लोन ने कहा कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस अपनी प्रासंगिकता खो चुकी है क्योंकि हम कार्रवाई नहीं कर सके।
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उन्होंने आगे कहा कि तो उस समय हुर्रियत की अवधारणा अच्छी रही होगी… लेकिन आज जब हम हुर्रियत की कल्पना करते हैं, तो वह निष्क्रिय दिखती है और कहीं न कहीं हुर्रियत लड़खड़ा गई है, इसमें कोई शक नहीं। लोन ने भी पाकिस्तान की संलिप्तता की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि हमने कई बयान सुने हैं, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला है। पाकिस्तान को कश्मीर में दरार पैदा करने के बजाय, यहाँ हालात को बेहतर बनाने में उसकी मदद करनी चाहिए। उन्होंने इस विचार को खारिज कर दिया कि पाकिस्तान कश्मीर पर बलपूर्वक कब्ज़ा कर सकता है, और इसे बेहद मूर्खतापूर्ण सुझाव बताया। सीमा पर हाल ही में हुई झड़प का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा सीमा पर एक इंच भी ज़मीन नहीं हिली।
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दृष्टिकोण में बदलाव का आह्वान करते हुए लोन ने कहा कि हमें इस गड़बड़ी से बाहर आना होगा, चाहे वह पाकिस्तान के साथ हो या उसके बिना, हमें इससे बाहर आना होगा। अलगाववादी आंदोलन की विफलताओं पर खेद व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस को कई मौके मिले, लेकिन हम कहीं न कहीं चूक गए। और हम अपने लोगों के लिए कुछ कर सकते थे, लेकिन हम ऐसा नहीं कर पाए। यही हकीकत है, आइए इसके बारे में ईमानदार रहें।