राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले के पास सोमवार शाम हुए भीषण कार विस्फोट ने न केवल देश बल्कि विश्व समुदाय को भी झकझोर दिया है। इस घटना में अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 20 से अधिक घायल बताए जा रहे हैं। दुनिया जब एक ओर आतंकवाद के नये नये रूप को देख रही है तब सबकी निगाहें इस बात पर लगी हुई हैं कि दिल्ली धमाके की जाँच से क्या निष्कर्ष सामने आता है। दिल्ली में धमाका किसने किया, क्यों किया और धमाके में किन चीजों का इस्तेमाल हुआ इन सब सवालों के जवाब दुनिया भी चाहती है।
दूसरी ओर, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अगुआ बन कर उभरे भारत की राष्ट्रीय राजधानी में हुई इस घटना के बाद दुनियाभर के नेता भारत के साथ सांत्वना और अपना समर्थन जताने में जुट गये हैं। अमेरिका ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा है कि वह स्थिति पर “लगातार नजर रखे हुए है।” अमेरिकी विदेश मंत्रालय के दक्षिण एवं मध्य एशियाई मामलों के ब्यूरो ने कहा, “हम प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करते हैं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं।” वहीं दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने अपने नागरिकों को लाल किला और चांदनी चौक क्षेत्र से दूर रहने और स्थानीय मीडिया से अपडेट लेने की सलाह दी है।
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उधर, विस्फोट के बाद ब्रिटेन ने यात्रा संबंधी सलाह जारी की है जबकि रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने ‘एक्स’ पर लिखा, “लाल किले पर हुए विस्फोट से स्तब्ध हूँ। विश्वास है कि भारत की गहन जांच इस घटना के कारणों का खुलासा करेगी।” उधर, इज़राइल के राजदूत रेवुवेन अजार ने इसे “हृदयविदारक घटना” बताते हुए बचावकर्मियों और सुरक्षा बलों के त्वरित प्रयासों की प्रशंसा की। वहीं चीन के विदेश मंत्रालय ने भी कहा कि वह “इस घटना से स्तब्ध” है और भारत के साथ एकजुटता व्यक्त करता है। चीन के प्रवक्ता लिन जियान ने बताया कि किसी चीनी नागरिक के हताहत होने की सूचना नहीं है।
उधर, श्रीलंका, मालदीव और नेपाल ने भी इस विस्फोट में मारे गए लोगों के प्रति गहरी संवेदना जताई और भारत के साथ एकजुटता प्रकट की। श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके ने कहा, “भारत के लोगों के साथ हम दुख की इस घड़ी में खड़े हैं।”
देखा जाये तो दिल्ली में यह विस्फोट उस समय हुआ है जब भारत जी-20 के बाद वैश्विक मंच पर सक्रिय भूमिका निभा रहा है और पड़ोसी क्षेत्र में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ रहे हैं। विस्फोट की प्रकृति भले ही अभी स्पष्ट न हो, लेकिन इसका मनोवैज्ञानिक असर गहरा है। यह बताता है कि शांति के केंद्र में भी असुरक्षा का साया मौजूद है। वहीं अमेरिका, रूस, चीन, इज़राइल और दक्षिण एशिया के पड़ोसी देशों द्वारा तुरंत प्रतिक्रिया देना यह दिखाता है कि भारत की सुरक्षा अब केवल घरेलू चिंता नहीं, बल्कि एक क्षेत्रीय और वैश्विक विषय है। साथ ही अमेरिका और रूस की प्रतिक्रियाएँ संकेत देती हैं कि भारत की आंतरिक घटनाएँ अब विश्व-राजनीति के निगरानी तंत्र में सीधे दर्ज होती हैं।
बहरहाल, जहां दुनिया भर में दिल्ली की घटना पर दुख जताने के बयान जारी हो रहे हैं वहीं भूटान में महामहिम राजा ने थिम्पू के चांगलिमथांग स्टेडियम में हज़ारों भूटानी लोगों के साथ दिल्ली विस्फोट के पीड़ितों के लिए प्रार्थना सभा का नेतृत्व किया।

