जो काम पाकिस्तान सालों से नहीं कर पाया वही खेल अब एदोगन का तुर्की खेल रहा। लाल किले पर धमाके से लेकर भारत के अपाचे हेलीकॉप्टर की डिलीवरी रोकने तक सबूतों की डोर सीधे अंकारा तक जाती है। बोइंग कंपनी के अपाचे हेलीकॉप्टर से भारत ने इंडियन आर्मी की एविएशन विंग के लिए छह नए अपाचे ऑर्डर किए थे। तीन हेलीकॉप्टर जुलाई 2025 में आ चुके थे। लेकिन बाकी 3 नवंबर में आने थे और तभी हुआ खेल। 8 नवंबर को जो कार्गो एयरक्राफ्ट N2O124 भारत आने वाला था, वह अचानक वापस अमेरिका लौट गया। क्योंकि बीच रास्ते में तुर्की ने अपने एयरस्पेस की क्लीयरेंस को ही वापस ले लिया। इसे अननोन लॉजिस्टिक इशू कहा।
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विमान निरीक्षक @KiwaSpotter के अनुसार, 30 अक्टूबर को, भारी मालवाहक विमान, An-124 सीरियल UR-82008, जर्मनी के लीपज़िग में अपने परिचालन बेस से उड़ा और एरिजोना में मेसा गेटवे हवाई अड्डे पर उतरा, जिसे आमतौर पर फीनिक्स-मेसा हवाई अड्डे के रूप में जाना जाता है, जैसा कि यूरेशियन टाइम्स ने रिपोर्ट किया है। 1 नवंबर को, विमान मेसा गेटवे हवाई अड्डे से रवाना हुआ और इंग्लैंड के ईस्ट मिडलैंड्स हवाई अड्डे पर पहुँचा, जहाँ यह आठ दिनों तक ज़मीन पर रहा। 8 नवंबर को, भारत की ओर अपनी आगे की यात्रा फिर से शुरू करने के बजाय, एएन-124 विमान माल लेकर मेसा गेटवे हवाई अड्डे पर लौट आया। एरिज़ोना वापस पहुँचने पर, अपाचे हेलीकॉप्टरों को एएन-124 से उतारकर F-250 ट्रकों के ज़रिए अमेरिका के हवाई अड्डे तक पहुँचाया गया।
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दिल्ली ब्लास्ट की जांच में तुर्की कनेक्शन सामने आ चुका है। दरअसल स्पष्ट है कि एर्दोगन जानते हैं कि भारत अब पलटवार करेगा। इसलिए उन्होंने भारत की एयर स्ट्राइक कैबिलिटी को कमजोर करने की कोशिश की। दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके के बाद एनआईए की जांच में एक बड़ा खुलासा हुआ। हमलावर उमर नबी और डॉक्टर मुजमिल गानी दोनों ही तुर्की बेस्ट हैंडलर उकासा से जुड़े हुए हैं।
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मई 2025 में चार दिवसीय युद्ध में पाकिस्तान के साथ तुर्की के खुले गठबंधन के बाद भारत और तुर्की के बीच संबंध एक नए निम्न स्तर पर पहुंच गए। तुर्की ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत के हमलों की निंदा की, जो पहलगाम हमले के प्रतिशोध में थे, और यहां तक कि इस्लामाबाद को दर्जनों ड्रोन सहित सैन्य सहायता भी प्रदान की। ऑपरेशन सिंदूर के बाद जो पाकिस्तान की हालत हुई वही डर अब तुर्की को सता रहा क्योंकि तुर्की ने भी पाकिस्तान को ड्रोन ऑपरेटर्स और तकनीकी मदद दी थी। जिसके चलते दो तुर्किश ऑपरेटर्स मारे गए थे। अब तुर्की ने साफ दिखा दिया है कि वो भारत का दोस्त नहीं बल्कि पाकिस्तान का साइलेंट पार्टनर है। उसने ना सिर्फ भारत के सैन्य लॉजिस्टिक को बाधित किया बल्कि वहां से अब आतंकियों का कनेक्शन भी सामने आ रहा। एर्दोगन आजकल इस्लामिक ब्लॉक लीडरशिप के सपने देख रहे हैं। वह खुद को मुस्लिम दुनिया का रक्षक दिखाना चाहते हैं और भारत की मजबूती उनकी राह में सबसे बड़ा कांटा है। इसलिए उन्होंने अब वही किया जो पाकिस्तान हमेशा से करता आया।

