Friday, November 14, 2025
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जनजातीय गौरव दिवस पर मध्यप्रदेश की जेलों से अच्छे आचरण वाले 32 कैदी होंगे रिहा

मध्यप्रदेश सरकार 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर अच्छे आचरण के लिए 32 कैदियों को रिहा करेगी जिनमें नौ आदिवासी समुदाय के हैं। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों के अनुसार, जेल में सजा काटते समय अच्छे आचरण के आधार पर कैदियों को रिहा करने की यह देश की पहली ऐसी पहल होगी।
आदिवासी महापुरुष बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाई जाती है।

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‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में राज्यपाल के जनजातीय प्रकोष्ठ की विषय विशेषज्ञ डॉ. दीपमाला रावत ने कहा कि यह रिहाई राज्यपाल मंगूभाई सी. पटेल की पहल है। पटेल स्वयं आदिवासी समुदाय से हैं।
उन्होंने जेल विभाग के अधिकारियों की एक बैठक बुलाई, जिसके बाद अच्छे आचरण वाले कैदियों की सजा माफ करने का प्रस्ताव राज्य मंत्रिमंडल को भेजा गया और उसे मंजूरी दे दी गई।
उन्होंने कहा, इस कदम के साथ, मध्यप्रदेश में गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, गांधी जयंती और आंबेडकर जयंती के बाद जनजातीय गौरव दिवस पांचवां ऐसा अवसर बन गया है जिस पर अच्छे आचरण वाले कैदियों को रिहा किया जाएगा।’’

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रावत ने कहा कि 15 नवंबर की रिहाई से गांधी जयंती के बाद छूट की शर्त पूरी करने वाले दोषियों को भी लाभ होगा, क्योंकि अब उन्हें रिहाई के लिए गणतंत्र दिवस तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक (कारागार) संजय पांडे ने कहा कि बलात्कार या यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) के मामलों में सजा काट रहे किसी भी दोषी को रिहा नहीं किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि दो अलग-अलग हत्या के मामलों में दोषी ठहराए गए किसी भी कैदी को रिहा नहीं किया जाएगा।
पांडे ने कहा कि छूट केवल उन दोषियों पर लागू होती है जिन्होंने अपनी आजीवन कारावास की सजा के 14 साल से अधिक की सजा काट ली है और अच्छा आचरण बनाए रखा है। ऐसे दोषी राज्य भर की 11 केंद्रीय जेलों में बंद हैं।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, मध्यप्रदेश में 1.53 करोड़ से अधिक आदिवासी थे, जो इसकी 7.26 करोड़ से अधिक की आबादी का 21.08 प्रतिशत है।

भारतीय राज्यों में मध्यप्रदेश में सबसे अधिक आदिवासी आबादी है। अधिकारियों ने बताया कि राज्य ने आदिवासियों के कल्याण के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें भूमि अतिक्रमण से जुड़े मामलों में उनके ख़िलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को वापस लेना शामिल है।
मार्च 2009 तक, सरकार ने अनुसूचित जनजातियों के ख़िलाफ दर्ज 87,549 एकल अपराध के मामले वापस ले लिए थे। उन्होंने बताया कि पिछले 10 वर्षों में दर्ज 35,807 मामलों में से 28,645 का निपटारा हो चुका है, जबकि 4,396 मामले अभी अदालतों में लंबित हैं।

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