असम के डिब्रूगढ़ जेल में बंद खडूर साहिब से सांसद अमृतपाल सिंह की पेरोल याचिका पर सुनवाई के दौरान सोमवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया गया कि उस मूलभूत आधार एवं सामग्री को कोर्ट में पेश करे जिसके आधार पर पेरोल अर्जी को खारिज किया गया था। पंजाब सरकार की तरफ से समय दिए जाने की मांग पर चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने मामले पर 8 दिसंबर के लिए सुनवाई तय की है। पंजाब सरकार की तरफ से सीनियर एडवोकेट अनुपम गुप्ता ने कोर्ट में कहा यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीयहित से जुड़ा है। यदि अमृतपाल को पेरोल मिलती है तो उसे बोलने की आजादी मिल जाएगी और इससे कानून व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। सांसद अमृतपाल सिंह की संसद सत्र में शामिल होने की मांग को लेकर दाखिल याचिका का विरोध करते हुए पंजाब सरकार ने कहा कि यदि यह अनुमति दी गई तो उसकी एक स्पीच से पंजाब की पांच नदियों (पंज-आब) में आग लग सकती है।
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अमृतपाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजविंदर सिंह बैंस ने दलील दी कि राज्य सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) की धारा 15 के तहत अपने विवेकाधिकार का दुरुपयोग करते हुए, बिना किसी विशिष्ट तथ्य से जुड़े एक “गुप्त” अस्वीकृति आदेश जारी किया है। तर्क दिया गया कि अमृतपाल पंजाब में प्रवेश नहीं करना चाहते, बल्कि हिरासत में अपने संसदीय कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहते हैं। पैरोल की व्यवस्था कड़ी शर्तों के साथ की जा सकती है। याचिकाकर्ता यह वचन देने को तैयार है कि वह लगाई गई शर्तों का पालन करेगा।
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उन्होंने कहा कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को कैसे नुकसान पहुँचता है (राज्य का यह दावा कि पैरोल की अनुमति देने से राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरा हो सकता है)? विवेकाधिकार क़ानूनी, तर्कसंगत और निष्पक्ष होना चाहिए। उन्हें यह बताना होगा कि संसद में उपस्थिति ख़तरा क्यों है। उन्होंने विस्तार से बताया कि सांसद अगस्त में पंजाब में आई बाढ़ से हुए नुकसान का मुद्दा उठाना चाहते हैं, जिससे उनके निर्वाचन क्षेत्र के लगभग 800 गाँव प्रभावित हुए थे।

