भारत की अंडर-17 फुटबॉल टीम ने रविवार रात अहमदाबाद के ईकेए एरीना में इतिहास रच दिया है। ईरान जैसी मजबूत एशियाई टीम को 2-1 से हराकर भारत ने एएफसी अंडर-17 एशियाई कप 2026 के लिए क्वालिफाई किया है। यह जीत कई मायनों में खास है क्योंकि टीम इंडिया के दोनों गोल ऐसे खिलाड़ियों ने किए, जो मणिपुर के उन समुदायों से आते हैं जो बीते ढाई वर्षों से गहरे संघर्ष और हिंसा की स्थिति में फंसे हुए हैं।
मौजूद जानकारी के अनुसार ईरान ने 19वें मिनट में पहला गोल दागा था। लेकिन हाफ टाइम से ठीक पहले कुकी समुदाय के दललमुोन गांगटे ने पेनाल्टी पर गोल कर मैच बराबरी पर ला दिया। इसके बाद दूसरे हाफ में मैतेई समुदाय के फॉरवर्ड गुनलेइबा वांगखैराक्पम ने काउंटर अटैक पर विजयी गोल दागकर भारत की जीत पक्की कर दी हैं।
बता दें कि मई 2023 से चले आ रहे जातीय संघर्षों ने मणिपुर को बुरी तरह प्रभावित किया है, जहाँ 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए और 250 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। सोशल मीडिया पर भी दोनों समुदायों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं. मैतेई पेज अपने खिलाड़ी की तारीफ कर रहे थे तो कुकी समुदाय अपने खिलाड़ी को सलाम कर रहा था। हालांकि कई लोगों ने इस जीत को शांति की दिशा में उम्मीद की किरण बताया है।
गौरतलब है कि टीम इंडिया की 23 सदस्यीय टीम में मणिपुर के कुल नौ खिलाड़ी शामिल हैं, जिनमें सात मैतेई और दो कुकी समुदाय से हैं। मणिपुर लंबे समय से भारतीय फुटबॉल का महत्वपूर्ण प्रतिभा केंद्र रहा है।
राज्य की मौजूदा स्थिति पर नज़र डालें तो अधिकतर प्रभावित लोग अभी भी 351 राहत कैंपों में रह रहे हैं, और सुरक्षा बलों द्वारा बनाए गए बफ़र ज़ोन के कारण राज्य दो हिस्सों में बँटा हुआ है। यात्रा प्रतिबंध, पानी की कमी, खराब स्वच्छता और शिक्षा बाधित होने जैसी समस्याएँ अभी भी गंभीर रूप से मौजूद हैं। कई बच्चों में ट्रॉमा और अवसाद के लक्षण देखे जा रहे हैं।
फिर भी, इन सबके बीच फुटबॉल वह एक चीज़ है जो लोगों को थोड़ी देर के लिए सामान्य जीवन का एहसास कराती है। राहत कैंपों में बच्चे नंगे पाँव फुटबॉल खेलते दिख जाते हैं। इम्फाल और पर्वतीय क्षेत्रों में मैच फिर से शुरू होने लगे हैं और समुदायों में थकान और निराशा के बीच यह खेल उम्मीद का सहारा बन गया है।
तीन हज़ार किलोमीटर दूर अहमदाबाद में खेले गए एक मैच में दो किशोरों ने दिखा दिया कि जब मैदान पर जर्सी तिरंगे की हो, तो समुदायों का अंतर मायने नहीं रखता। एक मैतेई पास और एक कुकी फिनिश भारत को जीत दिलाने के लिए काफी रहे हैं।
इन मुश्किल परिस्थितियों के बीच भारत की यह जीत मणिपुर के लिए एक दुर्लभ पल है, जो बताती है कि खेल सिर्फ जीत–हार नहीं, बल्कि शांति की शुरुआत भी कर सकता है।

