आईआईटी परिसरों में प्लेसमेंट सीज़न की शुरुआत होते ही इस साल एक बड़ा निर्णय सामने आया है। मौजूद जानकारी के अनुसार, बीते शैक्षणिक वर्ष में छात्रों को दिए गए नियुक्ति पत्र अचानक रद्द करने वाली 20 से अधिक कंपनियों को इस बार की प्लेसमेंट प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया है। कई मामलों में ये ऑफर जॉइनिंग डेट से कुछ दिन पहले ही वापस ले लिए गए थे, जिससे छात्रों को भारी मानसिक दबाव और करियर से जुड़ी अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ा है।
बता दें कि आईआईटी नियमों के तहत, जिन छात्रों को एक बार जॉब ऑफर मिल जाता है, उन्हें आमतौर पर आगे इंटरव्यू देने की अनुमति नहीं होती। ऐसे में जब कंपनियों ने जून–जुलाई में अंतिम समय पर ऑफर वापस लिए, तो कई विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटक गया। गौरतलब है कि आईआईटी प्रशासन ने इन मामलों की संयुक्त समीक्षा की और पाया कि कुछ कंपनियों ने एक से अधिक संस्थानों में ऑफर वापस लिए थे तथा पहले भी इस तरह की घटनाएं सामने आई थीं।
प्लेसमेंट टीमों ने इन कंपनियों की सूची को अंतिम रूप देने से पहले करीब 15 आईआईटी के समन्वयकों के माध्यम से सभी नामों का मिलान किया। कुछ कंपनियों में तो आईआईटी के पूर्व छात्र भी कार्यरत हैं, फिर भी ऑफर रद्द किए गए। इतना ही नहीं, कुछ मामलों में कंपनियों ने पहले तय किए गए पैकेज को कम करने की कोशिश भी की। इसके बाद प्लेसमेंट सेल्स ने संबंधित कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क कर छात्रों की चिंताओं से अवगत कराया है।
सॉफ्टवेयर और डेटा एनालिटिक्स क्षेत्र की कई कंपनियां इस प्रतिबंधित सूची में शामिल हैं। हालांकि इन्हें इस वर्ष आधिकारिक प्लेसमेंट प्रक्रिया में शामिल होने की अनुमति नहीं होगी, लेकिन वे ऑफ-कैंपस तरीकों से छात्रों को नियुक्त कर सकती हैं। आईआईटी बॉम्बे के 2025 बैच के एक छात्र ने बताया कि उनका करीब 30 लाख रुपये का पैकेज वाली एक कंपनी से ऑफर जॉइनिंग से दो दिन पहले वापस ले लिया गया था, हालांकि एलुमनाइ नेटवर्क की मदद से उन्हें बाद में बेहतर अवसर मिल गया है।
आईआईटी के एक प्रोफेसर ने बताया कि इस साल संस्थान केंद्र की विक्सित भारत पहल के तहत समर्थित अधिक स्टार्ट-अप्स को भी जोड़ रहे हैं। नौकरी बाजार में सुस्ती के बावजूद शुरुआती प्लेसमेंट संकेत उत्साहजनक हैं और संस्थान छात्रों को बेहतर अवसर दिलाने के प्रयासों में जुटे हुए हैं।

