Monday, March 24, 2025
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Artificial Intelligence, ChatGPT, Deepseek Truth| AI का जना राक्षस Deepfake| Teh Tak Chapter 5

फिल्म स्टार से लेकर प्रधानमंत्री तक को AI के इस तकनीक ने किया परेशान, कैसे करें इसकी पहचान? 
आप इंस्टाग्राम पर रील्स देखते होंगे। आपकी फीड पर क्या है ये आपके इंटरनेट और इंटरेस्ट पर निर्भर करता है। हो सकता है कि आपके पास भी एक वीडियो आया होगा जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी गाना गाते हुए नजर आते हैं। इन वीडियो में उनकी आवाजें सुनाई देती है तो कभी-कभी उनके फोटो नजर आते हैं। उनका गाना गाते हुए वीडियो भी दिखता है। एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना, काजोल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी डीप फेक वीडियो सामने आ चुका है। इसका जिक्र खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। डीप फेक का इस्तेमाल सरकार के साथ ही साइबर एक्सपर्ट और सिक्योरिटी एक्सपर्ट की भी चिंता बढ़ा रहा है।
क्या होता है डीप फेक
ये 2 शब्दों डीप लर्निंग और फेक के मेल से बनता है। डीप लर्निंग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का एक हिस्सा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को सरल शब्दों में समझें तो ऐसी टेक्नोलॉजी जो खुद काम कर सकती है। यानी अपनी खुद की अक्ल लगाकर। जैसे आप गूगल अस्टिटेंट से कह दें कि म्यूजिक बजाओ। उसमें आपको खुद उठकर म्यूजिक नहीं प्ले करना पड़ता है। इंसानी दिमाग के जितना करीब हो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उतनी ही बेहतर मानी जाएगी। डीप फेक ह्यूमन इमेज सिंथेसिस नाम की टेक्नोलॉजी पर काम करता है। जैसे हम किसी भी चीज की फोटोकॉपी कर लेते हैं वैसे ही ये टेक्नोलॉजी चलती फिरती चीजों की कॉपी कर सकती है। यानी स्क्रीन पर आप एक इंसान चलते, फिरते, बोलते देख सकते हैं पर वो नकली होगा। इस टेक्नोलॉजी की नींव पर बनी एप्स बेहद नुकसान पहुंचा सकती है। इससे किसी व्यक्ति के चेहरे पर दूसरे का चेहरा लगाया जा सकता है। वो भी इतनी सफाई और बारिकी से कि नीचे वाले चेहरे के सभी हाव भाव ऊपर वाले चेहरे पर दिख सकते हैं। ये उसी तरह है जैसे एकता कपूर के सिरीयल में प्लास्टिक सर्जरी से पुराने चेहरे को नया बना दिया जाता था। फिर लोगों को लगता था कि सारे काम वो व्यक्ति कर रहा है जो ऊपर दिख रहा है। 

इसे भी पढ़ें: AI smarter than humans | AI आपकी नौकरी छीन लेगा? | Teh Tak Chapter 4

असल और डीप फेक वीडियो में कैसे करे पहचान
इसके लिए एक्सपर्ट ने कुछ तरीके बताए हैं, लेकिन इसके लिए आपको हर एक वीडियो को ध्यान से देखना होगा। अगर आप ध्यान से देखेंगे तो आपको डीप फेक वीडियो में दिखने वाले व्यक्ति के चेहरे, हाव-भाव और पलकें झपकने के पैटर्न में अंतर नजर आएगा। ध्यान से देखने पर आपको कुछ गड़बड़ी का अंदाज हो जाएगा। लिप्सि सिकिंग यानी होठों के हिलने और शब्दों के बीच फर्क दिखेगा। डीप फेक वीडियो में जो चेहरे दिखाई देते हैं उनके चेहरे की रंगत भी बदलती रहती है। यानी स्किन टोन भी लगातार बदलता रहता है। डीप फेक वीडियो में शरीर और चेहरे की बनावट में काफी अंतर नजर आएगा। यानी शरीर और चेहरे का कुदरती अनुपात बिगड़ा हुआ दिखाई देता है। डीप फेक वीडियो में बॉडी मूवमेंट यानी शरीर की चाल-ढाल में भी फर्क दिखाई देता है। व्यक्ति झटके लेते हुए चलता हुआ दिखाई देता है। 
कलर और लाइटिंग का मिसमैच होना
डीप फेक के क्रिएटरों को एक्युरेट कलर टोन और लाइट की कॉपी करने में कठिनाई हो सकती है। सबजेक्ट के फेस और आसपास की लाइटिंग में किसी भी विसंगति पर ध्यान दें।
ऑडियो क्वालिटी
डीपफेक वीडियो अक्सर एआई-जनरेटेड ऑडियो का उपयोग करते हैं जिनमें कुछ खामियां हो सकती हैं। विजुअल के साथ ऑडियो क्वालिटी को मैच करें।
दूसरे देशों में हैं इससे जुड़े नियम?
विदेशों में तो ऐसे काफी नियम हैं। भारत में भी ऐसे नियम हैं। अगर किसी को फेस चेंज करे, तो आडेंटिटी थ्रेट का नियम है। तो उसको रिपोर्ट कर सकते हैं। कारण डाल सकते हैं कि मेरी फोटो का गलत इस्तेमाल हो रहा है।  कानून तो हैं, लेकिन कानून होना और इसका इंप्लिमेंट होना दो बाते हैं। इसमें ज्यादा से ज्यादा अवेयरनेस की ही जरूरत है।
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