बिहार चुनाव 2025 के नतीजे आते ही राजनीतिक माहौल पूरी तरह बदल गया है। शुरुआती 11 घंटे की गिनती के बाद एनडीए ने भारी बढ़त बना ली है और मौजूद जानकारी के अनुसार गठबंधन 200 से ज्यादा सीटों पर आगे चल रहा है। भाजपा 90 से अधिक सीटों पर बढ़त बनाए हुए है, जबकि नीतीश कुमार की जेडीयू भी 80 से ज्यादा सीटों पर आगे है। गौरतलब है कि चिराग पासवान की एलजेपी (आरवी) लगभग 20 सीटों पर बढ़त लेकर इस बार निर्णायक भूमिका में दिखाई दे रही है, जिससे एनडीए का सामाजिक समीकरण और मजबूत हुआ है।
दूसरी तरफ महागठबंधन पूरी तरह बिखरा हुआ नज़र आ रहा है। राजद केवल 20 के आसपास सीटों पर ही आगे चल रही है और कांग्रेस की स्थिति तो उससे भी खराब है। बता दें कि कांग्रेस इस बार महज कुछ सीटों पर बढ़त हासिल कर सकी है, जो पार्टी की लंबे समय से जारी गिरावट को और साफ दिखाता है। 2020 में भी कांग्रेस को सीट बंटवारे में फायदा तो मिला था, लेकिन प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा था और इस बार स्थिति उससे भी खराब हो गई है।
नीतीश कुमार की राजनीति को लेकर भी चर्चा एक बार फिर तेज हो गई है। बिहार के राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नीतीश की पकड़ इसलिए नहीं छूटती क्योंकि उन्होंने सालों से ईबीसी, महादलित और गैर-यादव ओबीसी वर्ग के बीच मजबूत भरोसा बनाया हुआ है। महिलाओं के बीच भी उनकी योजनाओं का सीधा प्रभाव पड़ा है, जिससे उनका सामाजिक आधार लगातार स्थिर बना हुआ है। यह भी ध्यान देने योग्य है कि पिछले तीन विधानसभा चुनावों में जेडीयू की सीटें कम-ज्यादा होती रही हैं, लेकिन सत्ता की कुंजी हमेशा नीतीश के पास ही रही है और इस बार भी उसी पैटर्न की झलक दिख रही है।
उधर एनडीए के अंदर चिराग पासवान का उभार भी खास चर्चा में है। लंबे समय तक आलोचकों ने एलजेपी (आरवी) को सीट बंटवारे में “ज्यादा इनाम” मिलने वाली पार्टी बताया था, लेकिन इस बार चिराग ने करारा जवाब दिया है। 20 से अधिक सीटों पर बढ़त ने साफ कर दिया है कि पासवान वोट बैंक अभी भी निर्णायक है और एनडीए में उनकी वापसी ने पूरे गठबंधन को बड़ा फायदा दिया है। माना जा रहा है कि उनकी मजबूत उपस्थिति भविष्य में गठबंधन की राजनीति को भी प्रभावित कर सकती है।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया भी इन नतीजों के बाद सवालों के घेरे में है। पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने चुनाव आयोग पर सवाल उठाए, लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस की असली समस्या उसके संगठन, ज़मीनी पकड़ और नेतृत्व की सक्रियता में है। बता दें कि बिहार में कांग्रेस का कोई मजबूत बूथ ढांचा नहीं है और पिछले कई चुनावों में उसका जनाधार लगातार गिरता गया है।
कुल मिलाकर बिहार चुनाव 2025 के नतीजे एक बड़े राजनीतिक बदलाव की ओर इशारा कर रहे हैं। एनडीए की बड़ी जीत, जेडीयू और एलजेपी (आरवी) की मजबूत उपस्थिति और महागठबंधन की भारी गिरावट ने सूबे की राजनीति को नई दिशा दे दी है। आगे मुख्यमंत्री पद और सरकार की संरचना को लेकर अंतिम तस्वीर आने वाले कुछ घंटों में साफ होने की उम्मीद है।

