मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह आज यानी की 28 फरवरी को 77वां जन्मदिन मना रहे हैं। दिग्विजय सिंह अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं। वह मध्य प्रदेश के कद्दावर नेताओं की लिस्ट में शामिल हैं। वहीं उनको दिग्गी राजा के नाम से भी संबोधित किया जाता है। दिग्विजय सिंह के विरोधी भी उनकी राजनीतिक शख्सियत के काबिल हैं। दिग्विजय की राजनीति की अलग शैली है। हर किसी को याद रखना, नाम लेकर पुकारना और कभी विनम्र तो कभी कठोर हो जाना। तो आइए जानते हैं उनके बर्थडे के मौके पर दिग्विजय सिंह के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…
जन्म और परिवार
मध्य प्रदेश के इंदौर में 28 फरवरी 1947 को दिग्विजय सिंह का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम बालभद्र सिंह है, जोकि ग्वालियर राज्य के तहत आने वाले राघोगढ़ के राजा थे। दिग्विजय सिंह के साथी उनके साथी अर्जुन सिंह के नाम से भी पुकारते हैं। उन्होंने अपनी शिक्षा इंदौर के डेली कॉलेज से पूरी की है। उन्होंने इंदौर के श्री गोविन्द्रम सेकसरिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एवं साइंस कॉलेज से मकैनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया।
राजनीति में दबदबा
मध्यप्रदेश की राजनीति में आज भी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का दबदबा बना हुआ है। वह अक्सर देश व राज्य की राजनीति में अक्सर सुर्खियों में बने रहते हैं। साल 1980 के दशक में इनके करियर की शुरूआत हुई। उन्होंने प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका निभाई है। साल 1984 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पूरे देश से युवा कांग्रेसियों को अपने कोर ग्रुप से जोड़ा था। इस दौरान दिग्विजय सिंह लोकसभा के सांसद थे और उस दौरान दिल्ली में एक डिनर पार्टी चल रही थी।
इस पार्टी में कांग्रेस के कई बड़े नेता और पत्रकार शामिल थे। इसी दौरान एक अखबार के संपादक दिग्विजय सिंह का नाम न ले पाने के कारण उनको दिग्गी राजा कहकर संबोधित कर रहे थे। क्योंकि यह नाम छोटा होने के साथ उच्चारण में भी आसान था। तभी से उनका नाम दिग्गी राजा पड़ गया।
राजनीतिक सफर
मध्य प्रदेश की राघौगढ़ रियासत के राजघराने से आने वाले दिग्विजय सिंह को राजनीति विरासत में मिली थी। वहीं इनके पिता बलभद्र सिंह भी विधायक थे। वहीं साल 1969 में महज 22 साल की उम्र में वह राघौगढ़ नगर पालिका का चुनाव जीत गए। जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। हालांकि अपने 54 साल के राजनीतिक करियर में दिग्विजय सिंह ने राघौगढ़ से लेकर दिल्ली तक के सफर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। लेकिन आज भी देश और प्रदेश की राजनीति में वह प्रासंगिक बने हुए हैं। उनको पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के राजनीतिक गुरु के रूप में भी माना जाता है।