28 अगस्त की तारीख मजेंटा लाइन पर बोटेनिकल गार्डन से जनकपुरी पश्चिम के बीच दिल्ली मेट्रो अपनी रफ्तार भरता है। जिसका उद्घाटन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल माध्यम से किया था। लेकिन इस ट्रेन में सवार अधिकतर लोगों को पता ही नहीं था कि वे देश की पहली ड्राइवरलेस ट्रेन में सफर कर रहे थे। जिसे एक स्मार्ट सिस्टम चला रहा था। आदमी जो स्वाभाविक तौर पर करता है वही अब मशीनों को सिखाया जा रहा। इसका मतलब है कि कुछ कामों के लिए इंसानी दखल की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। टेक्नोलॉजी के दौर में हम 5वीं जनरेशन में हैं और इसकी सबसे बड़ी देन है आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस यानी एआई। अगर आप एआई को सिर्फ रोबोट से जोड़ रहे हैं तो ऐसा नहीं है। बल्कि रोबोट ऐसी मशीन है जिसमें एआई प्रोग्राम फीड किए जाते हैं ताकि वो बेहतर तरीके से परफॉर्म कर सके।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है
सबसे पहले इस दो शब्दों को मिलकर बने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अर्थ पर आते हैं। इसका मतलब है मानव निर्मित सोच शक्ति। आसान भाषा में कहें तो एक ऐसी तकनीक जो हमारी तरह की सोच सके, काम कर सके, व्यवहार कर सके, समस्या सुलझा सके, उसमें कुछ भी सीखने व निर्णय लेने की क्षमता हो, एक ऐसा इंटेलिजेंस सिस्टम जो इन सारी कामों को कुशलता पूर्वक कर सके। एक तरह का अपने आप में कंपलीट पैकेज जो मानव बुद्धिमत्ता के बराबर का हो। इंसान और मानव के बीच में इंटेलिजेंस के घेरे को खत्म करने का काम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से किए जाने की कोशिश है। एक तरह से कहे तो मशीन में इंटेलिजेंस डालने का काम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस करती है।
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कहां-कहां हो रहा इस्तेमाल
हाल ही के समय में इसका दायरा बढ़ा है और कहा ये जा रहा है कि भविष्य में ये हर वो काम कर सकेंगी जो एक इंसान करता है। टेक कंपनी के जितने भी स्पीकर आ रहे हैं उसमें वर्चुअल असिस्टेंस ऑपरेटिंग सिस्टम होती है। जैसे एप्पल का सीरी हो गया, अमेजॉन का एलेक्सा है, गूगल असिस्टेंस है। इसमें जो भी आपके सवाल या मांग है उसे सर्च करते कुछ सेकेंड के भीतर ही ये आपके सामने उपस्थित करता है। हमारे स्मॉर्टफोन को ही ले लीजिए। जो भी आप देखते हैं या सर्च करते हैं। उसके रिलेटेड ही आपको पोस्ट आती है या विज्ञापन दिखते हैं। इसके पीछे भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का ही अल्गोरिदम काम करता है। इसके अलावा ड्राइवरलेस स्मार्ट कार आ रही हैं। नए-नए ह्यूमन रोबोट आए जो इंसान के भाव और व्यवहार को समझ सकते हैं।
कब हुई इसकी शुरुआत
इंसानी सभ्यता के शुरुआती काल में ही मशीनों के जरिये काम लेने की कोशिशे शुरू हुई। इंसानी सभ्यता का जैसे-जैसे विकास हुआ और एक दूसरे से मजबूत बनने की होड़ शुरू हुई। मशीनों को लेकर इंसान की कल्पना आसमान से आगे जाने लगी। समय के साथ इंसान ने खुद को इस लायक मानना शुरू कर दिया कि वो विज्ञान के जरिये अपनी कल्पनाओं को साकार कर सके। सन 1955 में जॉन मेकार्थी ने आधिकारिक तौर पर इस तकनीक को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का नाम दिया था। आपको बता दें कि जॉन मेकार्थी अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक थे। मशीनों को स्मार्ट बनाने के लिए उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को परिभाषित किया था। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जनक जॉन मैकार्थी के अनुसार यह बुद्धिमान मशीनों, विशेष रूप से बुद्धिमान कंप्यूटर प्रोग्राम को बनाने का विज्ञान और अभियांत्रिकी है अर्थात् यह मशीनों द्वारा प्रदर्शित की गई इंटेलिजेंस है। इसके ज़रिये कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने का प्रयास किया जाता है, जिसके आधार पर मानव मस्तिष्क काम करता है।
बहरहाल, इंसान ने अपनी बुद्धि से कई नामुमकिन चीजों को मुमकिन बना दिया। 1950 के दशक में शुरू हुआ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का ये सफर सात दशकों में काफी आगे पहुंच गया। और अब इंसान अपने सहयोगी और सहायता के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नये-नये तरीकों का विकास करने में लगा हुआ है।