नाटो चीफ को विदेश मंत्रालय ने तगड़ा जवाब दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत की ऊर्जा जरूरतें सर्वोच्च प्राथमिकता हैं। विदेश मंत्रालय ने साफ कहा कि हम किसी भी दोहरे मापदंड को लेकर सावधान हैं। विदेश मंत्रालय ने साफ कहा है कि इस मामले में दोहरा मापदंड नहीं चलेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधाीर जयसवाल ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि हमने इस बारे में खबरें देखी हैं। हम इस पर ध्यान रख रहे हैं। उन्होंने कह कि हमारे लोगों के लिए ऊर्जा जरूरतें पूरी करना हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है। ये बात समझने वाली है। बता दें कि ये कोई पहली बार नहीं हुआ है कि पश्चिमी देशों या फिर यूरोपियन देशों की तरफ से भारत के ऊपर इस तरह के हमले या कटाक्ष किया जाता रहा है।
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रूस से तेल खरीद को लेकर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कई बार साफ साफ शब्दों में कहा है कि हम अपनी जरूरतों को पहली प्राथमिकता देंगे। और आज विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की तरफ से भी यही बात दोहराई गई है। पश्चिमी देश खुद तो अलग अलग देशों से व्यापार करते रहते हैं। आयात निर्यात करते हैं और उसका सबसे बड़ा उदाहरण सीरिया है। सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल शरा पहले अमेरिका की तरफ से डेजीग्रेनेटेड आतंकी थे। लेकिन सीरिया ने उनके साथ दोस्ती कर ली तो अमेरिका ने सभी प्रतिबंध हटा लिए। कुल मिलाकर कहे तो पश्चिमी देशों की तरफ से भारत को लेकर या भारत के दूसरे देशों के साथ राजनयिक संबंधों को लेकर हमेशा से इस तरह के कटाक्ष किए हैं।
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गौरतलब है कि नाटो महासचिव मार्क रूट ने ब्राज़ील, चीन और भारत को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर वे रूस के साथ व्यापार जारी रखते हैं तो उन्हें गंभीर आर्थिक दंड का सामना करना पड़ सकता है। बुधवार को अमेरिकी सीनेटरों से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए, रूट ने बीजिंग, दिल्ली और ब्राज़िल के नेताओं से आग्रह किया कि वे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर शांति वार्ता को गंभीरता से लेने के लिए दबाव डालें। रूट ने कहा कि यदि आप चीन के राष्ट्रपति हैं, भारत के प्रधानमंत्री हैं, या ब्राजील के राष्ट्रपति हैं, और आप रूस के साथ व्यापार करना जारी रखते हैं तथा उनका तेल और गैस खरीदते हैं, तो आपको पता है यदि मास्को में बैठा व्यक्ति शांति वार्ता को गंभीरता से नहीं लेता है, तो मैं 100 प्रतिशत द्वितीयक प्रतिबंध लगा दूंगा।
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ये बात तो किसी से छुपी नहीं है कि रूस भारत का सबसे पुराना और जांचा-परखा दोस्त है। डिफेंस सेक्टर में दोनों देशों की साझेदारी वर्षों पुरानी है जिसे अमेरिका नए नए ऑफर देकर भी नहीं तुड़वा पाया है। वहीं तेल खरीद में भी भारत रूस का की पार्टनर है। मॉस्को से सस्ता कच्चा तेल खरीद भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को लगातार मजबूत किया है।