संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले आयोजित सर्वदलीय बैठक में केंद्र सरकार ने विपक्ष की प्रमुख मांगों को स्वीकार कर लिया है। विपक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर और सीमा पर चल रहे संघर्ष जैसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण मुद्दों पर संसद में चर्चा की मांग की थी।
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि सरकार इन सभी विषयों पर चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने सत्र से पहले बुलाई गई इस बैठक में सदन के सुचारु संचालन को सुनिश्चित करने के लिए सरकार और विपक्ष के बीच बेहतर समन्वय का भी आह्वान किया। रिजिजू ने कहा, ‘हम संसद में ऑपरेशन सिंदूर जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार हैं। संसद को सुचारु रूप से चलाने के लिए सरकार और विपक्ष के बीच समन्वय होना चाहिए।’
यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब विपक्ष अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस हालिया दावे को लेकर सदन में विवाद खडा करने की तैयारी में है, जिसमें उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता कर शत्रुता समाप्त करने की बात कही थी। इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए रिजिजू ने स्पष्ट किया कि सरकार सदन में इस विषय पर उचित जवाब देगी।
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मानसून सत्र में विपक्ष की रणनीति: एसआईआर, पहलगाम हमला और ट्रंप के दावे पर घेराबंदी की तैयारी
संसद का आगामी मानसून सत्र हंगामेदार होने की प्रबल संभावना है, क्योंकि विपक्ष ने केंद्र सरकार को कई विवादास्पद मुद्दों पर घेरने की पूरी तैयारी कर ली है। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह एक सार्थक और बहस-आधारित सत्र के लिए पूरी तरह तैयार है।
मानसून सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक में, विपक्षी नेताओं ने उन प्रमुख मुद्दों को रेखांकित किया जिन्हें वे संसद में उठाना चाहते हैं। इनमें बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में कथित अनियमितताएं, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हालिया आतंकवादी हमला, और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता का विवादास्पद दावा शामिल है।
विपक्ष की रणनीति इन मुद्दों पर सरकार से जवाबदेही मांगने और जनता का ध्यान आकर्षित करने पर केंद्रित होगी, जिससे सत्र के दौरान तीखी बहस और गतिरोध देखने को मिल सकता है। सरकार ने अपनी ओर से इन चुनौतियों का सामना करने और सभी महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा के लिए तत्परता दिखाई है।