पहलगाम हमले के बाद पीएम का सऊदी यात्रा के मध्य में रात्रि-भोज छोड़ कर लौटना, दिल्ली एयरपोर्ट पर ही विदेश मंत्री, विदेश सचिव और एनएसए के साथ आपात बैठक करना और घटना के तत्काल बाद पीएम के निर्देश पर गृह मंत्री का कश्मीर पहुंचना। ये सबकुछ उसी तरह का संकेत था जैसा कि पुलवामा हमले के 12 दिन बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक कर मोदी सरकार ने दिखाया था। पाक-स्थित लश्कर-ए-तैयबा के छद्म ग्रुप टीआरएफ का हाथ हो या किसी और संगठन का, यह बताना होगा कि भारत अब सॉफ्ट स्टेट नहीं रहा। पाक ने भारत में ऐसी घटना करने का दुस्साहस तो किया लेकिन वह बालाकोट को भूल गया। देश-दुनिया को दहला देने चाले जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के अगले दिन हर ओर गम और मुस्से का माहीत दिया। इसे देखते हुए सरकार ने देशनासियों को आतंकी घटना का करारा जबाव देने का भरोसा दिलाया। फिर पड़ोसी देश पाकिस्तान पर ऐक्शन वाले कई अहम फैसलों का ऐलान भी कर दिया।
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5 फैसलों से पाकिस्तान की तोड़ी कमर
सिंधु जल संधि स्थगित
1960 सिंधु जल संधि तुरंत प्रभाव से तब एक स्थगित जब तक आतंकवाद को पाकिस्तानी समर्थन बंद नहीं होता। आजादी के वाद से ही सिंधु जल वंटवारे को लेकर दोनों मुल्कों में कई तरह की दुविधापूर्ण स्थिति पैदा होने लगी थी। इसे दूर करने के लिए 65 साल पूर्व 1960 में सिंधु जल समझौता हुआ। इसमें अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाव से दोनों देशों के बीच इस नदी के पानी वंटवारे को लेकर एक समझौता हुआ जो दोनों देशों को मान्य हुआ। विश्व बैंक समझौते में मध्यस्थ वना। इस संधि के तहत पश्चिमी नदियों- सिंधु, झेलम और चिनाव का पानी पाकिस्तान का और पूर्वी नदियों- रावी, व्यास और सतलज के पानी पर भारत का अधिकार है। इस संधि पर अमल करने के लिए इंडस कमिशन (सिंधु आयोग) का गठन किया गया। भारत को 20 फीसदी और पाकिस्तान को 80 फीसदी पानी मिलता है।
असर: पाकिस्तान की 80% खेती सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के पानी पर निर्भर है। अब भारत की तरफ से इन नदियों का पानी रोक देने से पाकिस्तान में जल संकट गहराएगा। वहां की आर्थिक स्थिति बिगड़ेगी। इसके अलावा पाकिस्तान कई डैम और हाइड्रो प्रोजेक्ट्स से बिजली बनाता है। पानी की कमी से बिजली उत्पादन में गिरावट आ सकती है, जिससे आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों पर असर पड़ेगा।
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अटारी पोस्ट बंद
अटारी-वाघा चेक पोस्ट को तुरंत प्रभाव से बंद कर दिया गया। वैध दस्तावेज के साथ जो लोग पहले ही पार कर चुके हैं, उन्हें 1 मई से पहले वापस जाने को कहा गया।
असर: अटारी चेक पोस्ट बंद होने से अब दोनों देशों के बीच आवाजाही भी पूरी तरह से बंद हो गई। अबतक भारत से जो छोटे-छोटे सामानों की आवाजाही भारत से होती थी वह भी पूरी तरह से बंद हो गई। इससे वहां के छोटे व्यापारियों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। वैसे तो दोनों देशों में द्विपक्षीय व्यापार बंद है। लेकिन दोनों देशों के बीच छोटे-मोटे सामानों का लेन देन होता है। लेकिन अब इसपर भी लगाम लगा दिया गया।
वीजा सर्विस पर रोक
पाकिस्तानी नागरिकों को SAARC वीजा छूट योजना (SVES) के तहत भारत में प्रवेश की इजाजत नहीं होगी। पहले जारी किए गए सभी SVES वीजा रद्द किए जाएंगे। SVES वीजा पर पहले से भारत में मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों को अगले 48 घंटे के भारत छोड़ना होगा।
असर: ये एक सांकेतिक असर भी है कि अब भारत पूरी तरह से पाकिस्तान को दरकिनार करेगा। साथ ही पाकिस्तान के कई लोगों की रिश्तेदारी भारत में है. ऐसे में कई बार पाकिस्तानी लोग रिश्तेदार बनकर भारत आते हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। साथ ही भारत से हर एक पाकिस्तानी को भेजने की प्लानिंग है। यह पाकिस्तान से हर तरीके का संबंध तोड़ने की तैयारी है।
हाई कमीशन पर एक्शन
दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात रक्षा और सैन्य सलाहकारों को ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित किया गया है। उन्हें एक सप्ताह के भीतर भारत छोड़ने का आदेश दिया गया। इसी तरह भारत अपने रक्षा सलाहकारों को इस्लामाबाद से वापस बुलाएगा। ऐसे पांच सहयोगी स्टाफ भी वापस बुलाए जाएंगे। इन पदों को अब शून्य माना जाएगा।
असर: भारत ने नई दिल्ली में स्थित पाकिस्तानी हाई कमीशन में तैनात पाकिस्तानी मिलिट्री, नेवी और एयर एडवाइजर्स को अवांछित व्यक्ति घोषित किया है। उनके पास भारत छोड़ने के लिए एक हफ्ते का समय है। 1 मई 2025 तक पाकिस्तान के हाई कमीशन में तैनात कर्मचारियों की संख्या 55 से घटाकर 30 की जाएगी। भारत ने आजादी के बाद से अब तक दिल्ली में पाकिस्तान के दूतावास को कभी भी बंद नहीं किया है।
डिफेंस एडवाइजर्स भी वापस बुलाए
पाकिस्तान के डिफेंस एडवाइजर्स हटाने के साथ ही भारत भी अपने मिलिट्री, नेवी और एयर एडवाइजर्स को इस्लामाबाद स्थित इंडियन हाई कमीशन से वापस बुलाएगा। संबंधित हाई कमीशन में ये पद निरस्त माने जाएंगे। दोनों उच्चायोगों से सर्विस एडवाइजर्स के 5 सपोर्ट स्टाफ को भी वापस बुलाया जाएगा।
असर: स्टाफ की संख्या घटकर 55 से 30 हो जाने से पाकिस्तानी उच्चायोग की कार्यक्षमता और भारत में उसकी कूटनीतिक मौजूदगी सीमित हो जाएगी।