कहते हैं अगर इंसान मन से कमजोर है तो वह बहुत जल्दी बहकावे में आ जाता है। हाल ही में रिलीज हुई भूतों की फिल्म द कॉन्ज्यूरिंग लास्ट राइट्स में भी आखिर में यहीं बताया गया है कि जो डरता है उसी पर पुरी शक्तियां हावी होती है। इस लिए मन से कमजोर नहीं बनना चाहिए और न ही अंधविश्वास में पड़ना चाहिए। इसी भूत-प्रेत और बाधा के अंधविश्वास में एक मासूम बच्चे की जान चली जाती लेकिन एक सही फैसले ने एक मां और बच्चे दोनों की जिंदगी बचा ली है। आइये जानते हैं ये पूरा मामला क्या है?
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मुरादाबाद के करूला इलाके में प्रसवोत्तर मनोविकृति (पोस्टपार्टम साइकोसिस) से पीड़ित 23 वर्षीय एक महिला ने कथित तौर पर अपने 15 दिन के नवजात शिशु को फ्रिज में रख दिया। हालांकि समय रहते दादी ने बच्चे को फ्रिज से निकाल लिया और वह सुरक्षित है।
महिला ने हाल ही में एक बेटे को जन्म दिया था और पांच सितंबर को वह कथित रूप से बच्चे को फ्रिज में रखकर सो गई।
बच्चे के रोने की आवाज सुनकर उसकी दादी दौड़कर रसोई में गईं, जहां उन्होंने शिशु को फ्रिज के अंदर पाया।
उन्होंने बच्चे को तुरंत बाहर निकाला। परिवार के सदस्यों ने बताया कि बच्चे को तत्काल एक डॉक्टर के पास ले जाया गया, जिन्होंने पुष्टि की कि वह पूरी तरह सुरक्षित है।
बताया जाता है कि शुरू में, परिवार को संदेह हुआ कि महिला किसी बुरी शक्ति के प्रभाव में है, इसलिए उन्होंने पारंपरिक अनुष्ठान करने की कोशिश की। जब कोई सुधार नहीं हुआ, तो महिला को मनोरोग एवं नशा मुक्ति केंद्र ले जाया गया, जहाँ मनोचिकित्सक डॉ. कार्तिकेय गुप्ता ने उसे प्रसवोत्तर मनोविकृति से पीड़ित बताया।
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डॉक्टरों ने बताया कि महिला की इस समय काउंसलिंग और इलाज की प्रक्रिया जारी है।
मनोचिकित्सक डॉ. मेघना गुप्ता ने बताया कि प्रसवोत्तर अवसाद और मनोविकृति उन स्थितियों में उत्पन्न हो सकते हैं जब प्रसव के बाद महिलाओं की उपेक्षा की जाती है और उन्हें पर्याप्त भावनात्मक समर्थन नहीं मिलता।
उन्होंने बताया कि इससे गंभीर मनोदशा में उतार-चढ़ाव हो सकते हैं और चरम मामलों में, यह असामान्य व्यवहार का कारण बन सकता है।
डॉ. गुप्ता ने कहा, ऐसे मामलों में अंधविश्वास के बजाय, रोगी को उचित मानसिक स्वास्थ्य सहायता के लिए मनोचिकित्सक के पास ले जाना चाहिए।