Thursday, July 31, 2025
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अपने टोन में करेंगे भारत से बात, बांग्लादेश क्यों बेफिजूल के पंगे लेने में लगा है?

“बात तक करनी ना आती थी तुम्हें, ये हमारे सामने की बात है।” दाग दहेलवी ने भी खूब कहा था। पाकिस्तान के हिस्से में गए ईस्ट बंगाल के हिस्से को कुछ बरस में आजादी का ख्याल आ गया। वहां के लोगों ने मुक्ति संग्राम शुरू किया। भारत ने बांग्लादेश की सेना की मदद के लिए सेना भेजी। दिसंबर 1971 में पाकिस्तानी सेना ने हिंदुस्तान की जांबाज सेना के आगे सरेंडर कर दिया। तब जाकर बांग्लादेश बना। ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि भारत की मदद के बगैर बांग्लादेशी अपने स्वतंत्र देश अपनी स्वतंत्र अस्मिता और अपने सम्मान की रक्षा नहीं कर पाते। पाकिस्तान उसके पंजे के नीचे एक दोयम दर्जे के नागरिक बनकर रह जाते। लेकिन सवाल ये है कि आज सारा इतिहास बातने के पीछे मकसद ये है कि इसी बांग्लादेश सरकार ने कहा है कि वो भारत से अपने टोन और अपने अंदाज में बात करेगा। इसके साथ ही भारत के साथ कुछ समझौते तोड़ने की भी बात कही है। भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव कम नहीं हो रहा। एक के बाद एक बांग्लादेश ऐसे काम कर रहा है जिससे भारत के साथ रिश्तों में तनाव बना रह सके। हम ऐसा इसलिए भी कह रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान और आईएसआई के साथ हंसते, मुस्कुराते और फोटो सेशन करवाते बांग्लादेश की तस्वीर तो आपने खूब देखी होंगी।

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असमान संधियों पर बात

 बांग्लादेश अब भारत पर जुबानी हमले करने से भी बाज नहीं आ रहा है। बांग्लादेश का कहना है कि वह भारत के साथ अब अपने तरीके से और अपने अंदाज में बात करेगा। बांग्लादेश का कहना है कि वह भारत के साथ होने वाले 55वें डायरेक्टर लेवल बीजीडी और बीएसएफ के साथ बातचीत के दौरान अपने तरीके से डील करेगा। यह बैठक दिल्ली में 17 फरवरी को होने वाली है। बांग्लादेश की अतरिम सरकार का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के कार्यकाल में भारत से हुई सभी ‘असमान संधियों’ पर चर्चा की जाएगी। गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने बुधवार को भारतीय नागरिकों पर ड्रग्स बनाने और उन्हें बांग्लादेश में तस्करी करने का आरोप लगाया। वह भारत-बांग्लादेश सीमा सुरक्षा सम्मेलन को लेकर बात कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘सीमा से 150 गज के भीतर किसी भी गतिविधि के लिए दोनों देशों की आपसी मंजूरी जरूरी होती है।

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किसी भी पक्ष के लिए एकतरफा कार्रवाई की कोई गुंजाइश नहीं है। अगर किसी विकास परियोजना के तहत मस्जिद या मंदिर का निर्माण किया जाना हो, तो दोनों देशों की सहमति जरूरी होगी। भविष्य में इस सहमति को सुनिश्चित करने पर खास जोर दिया जाएगा। सीमा पर निहत्थे बांग्लादेशी नागरिकों पर कथित गोलीबारी पर भी सम्मेलन में चर्चा की जाएगी।

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