अफगान तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने दावा किया है कि अफगान बलों ने जवाबी कार्रवाई में 58 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया और 30 से ज्यादा को घायल किया है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि बड़ी मात्रा में पाकिस्तानी हथियार अफगान बलों के कब्जे में आए हैं।
बता दें कि मुजाहिद ने यह भी स्वीकार किया कि इस झड़प में नौ तालिबान सैनिकों की मौत हुई है और करीब दर्जनभर घायल हुए हैं। मौजूद जानकारी के अनुसार, अफगानिस्तान की ओर से कहा गया है कि यह कार्रवाई पाकिस्तान द्वारा बार-बार किए जा रहे सीमा उल्लंघन और हवाई हमलों के जवाब में की गई थी। वहीं पाकिस्तान ने अब तक अफगान तालिबान के इन दावों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान के सरकारी मीडिया ने उलटे दावा किया कि उसकी सेना ने 19 अफगान चौकियां कब्जे में ली हैं और कई तालिबान लड़ाके या तो मारे गए या भाग गए। पाकिस्तान टेलीविजन (PTV) ने कुछ वीडियो भी जारी किए हैं, जिनमें अफगान चौकियां आग में जलती हुई दिख रही हैं। वहीं रेडियो पाकिस्तान ने बताया कि पाकिस्तानी सेना ने तालिबान के कई ठिकानों जैसे मनोजबा कैंप, जंदुसार पोस्ट और खरचार फोर्ट को “सटीक निशाने” से ध्वस्त कर दिया।
बता दें कि पाकिस्तान के गृह मंत्री मोसिन नकवी ने अफगान हमलों को “उकसावे के बिना की गई कार्रवाई” बताया और आरोप लगाया कि अफगान बलों ने नागरिक इलाकों पर फायरिंग की। उन्होंने कहा कि “पाकिस्तान की सेना ने तुरंत और प्रभावी जवाब दिया है, और किसी भी उकसावे को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
मौजूदा जानकारी के अनुसार यह ताजा संघर्ष उस समय हुआ जब कुछ दिन पहले काबुल में हुए हवाई हमले के लिए तालिबान ने पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि इस्लामाबाद ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली, पर उसने अफगान तालिबान पर आरोप लगाया कि वे पाकिस्तानी तालिबान लड़ाकों को शरण दे रहे हैं, जिन्हें भारत का समर्थन प्राप्त है। भारत ने इस आरोप को सिरे से खारिज किया है।
बता दें कि इन घटनाओं पर ईरान, क़तर और सऊदी अरब ने चिंता जताई है और दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है। ईरानी विदेश मंत्री अब्बास आराघची ने कहा कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच स्थिरता पूरे क्षेत्र के लिए जरूरी है। क़तर और सऊदी अरब ने भी दोनों पक्षों से बातचीत और कूटनीति के रास्ते तनाव कम करने का आग्रह किया है।
कुल मिलाकर, मौजूद जानकारी के अनुसार अफगान-पाक सीमा, जो पहले से ही संवेदनशील रही है, अब दक्षिण एशिया की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बनती जा रही हैं।