जर्मनी ने अपनी वीजा नीति में बड़ा बदलाव किया है, जिसकी घोषणा कर दी गई है। जर्मनी ने ऐलान किया है कि एक जुलाई 2025 से जर्मनी के लिए अनौपचारिक वीजा अपील को खत्म किया जा रहा है। इस वीजा अपील को “Remonstration” कहा जाता है।
बता दें कि इस वीजा अपील का लाभ ये था कि जब कोई व्यक्ति जर्मनी के लिए वीजा अप्लआई करता था और वीजा रिजेक्ट होता था, तब इस विकल्प के जरिए व्यक्ति अतिरिक्त डॉक्यूमेंट्स दिखाकर वीजा हासिल कर सकता था। मगर अब अगर व्यक्ति का वीजा एक बार रिजेक्ट हो जाएगा तो उसके पास के विकल्प उपलब्ध नहीं होगा।
जर्मनी ने वीजा नीति में बदलाव किया है। इसके तहत अगर कोई व्यक्ति आवेदन करता है और उसका वीजा रिजेक्ट होता है तो उसके पास वीजा हासिल करने के लिए अन्य कोई विकल्प शेष नहीं बचेगा। उसके पास दो ही रास्ते बचेंगे, जिसमें एक तो ये की वीजा पाने के लिए नई एप्लीकेशन को फाइल किया जाए। दूसरा बर्लिन में जर्मनी के कोर्ट में औपचारिक तौर पर अपील करे।
बता दें कि अगर किसी का वीजा रिजेक्ट हो जाता है तो कानूनी अपील करना आसान नहीं होता है। कानूनी मदद लेने में अधिक समय लगता है। साथ ही ये अधिक महंगी भी होती है। आमतौर पर कानूनी मदद लेने के लिए जर्मन वकील की जरुरत होती है। कई मामले ऐसे भी होते हैं जिनमें मामला सुलझाने में दो साल का समय लगता है।
बता दें कि जर्मन विदेश कार्यालय की मानें तो वीजा हासिल करने का ये विकल्प हटाए जाने के बाद कई फायदे हो सकते है। स्टाफ रिजेक्ट की गई एप्लीकेशन के काम से छुटाकरा पा सकेंगे। अब नई एप्लीकेशन पर कर्मचारी तेजी से काम कर सकेंगे। ऐसे में वीजा जारी करने का काम जल्दी हो सकेगा।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो भारत से जर्मनी जाने वालों की संख्या काफी अधिक है। वीजा के लिए कई लोग आवेदन करते है। इसका असर भारतीयों पर भी हो सकता है। वीजा रिजेक्ट होने पर एरर करेक्शन के लिए जगह नहीं दी गई है। आवेदकों को ये सुनिश्चित करना होगा कि वीजा के लिए अप्लाई करने पर एक बार में ही सभी जरुरी दस्तावेज व सभी जानकारी उपलब्ध कराई जाए ताकि वीजा रिजेक्ट ना हो सके।