संयुक्त राज्य अमेरिका ने बुधवार को ईरान के मिसाइल और यूएवी कार्यक्रमों का समर्थन करने के लिए भारत सहित 32 व्यक्तियों और संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा दिए।अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि “आज की कार्रवाई ईरान द्वारा अपनी परमाणु प्रतिबद्धताओं को ‘पूरी तरह से पूरा न करने’ के जवाब में 27 सितंबर को ईरान पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों और प्रतिबंधात्मक उपायों को फिर से लागू करने का समर्थन करती है।” विदेश विभाग ने कहा कि ईरान, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), तुर्की, चीन, हांगकांग, भारत, जर्मनी और यूक्रेन में स्थित 32 व्यक्तियों और संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाए गए हैं।
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अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह कार्रवाई ईरान द्वारा मिसाइलों और अन्य पारंपरिक हथियारों को विकसित किए जाने का मुकाबला करने के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रयासों के अनुरूप है।
मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका ने आज ईरान, चीन, हांगकांग, संयुक्त अरब अमीरात, तुर्किये, भारत और अन्य देशों में स्थित 32 संस्थाओं और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगा दिया है जो ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल और मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) उत्पादन की मदद करने वाले कई खरीद नेटवर्क संचालित करते हैं।
अमेरिकी वित्त मंत्रालय के अवर सचिव (आतंकवाद एवं वित्तीय खुफिया) जॉन के. हर्ले ने कहा कि ईरान धनशोधन तथा अपने परमाणु एवं पारंपरिक हथियार कार्यक्रमों के लिए पुर्जे खरीदने के लिए विश्व भर की वित्तीय प्रणालियों का दुरुपयोग करता है।
उन्होंने कहा, राष्ट्रपति ट्रंप के निर्देश पर, हम ईरान पर उसके परमाणु खतरे को समाप्त करने के लिए अधिकतम दबाव डाल रहे हैं।’’
वित्त विभाग ने भारत स्थित ‘फार्मलेन प्राइवेट लिमिटेड’ (फार्मलेन) को मार्को क्लिंगे (क्लिंगे) नामक संयुक्त अरब अमीरात की फर्म से जोड़ा, जिसने कथित तौर पर सोडियम क्लोरेट और सोडियम परक्लोरेट जैसी सामग्रियों की खरीद में मदद की।
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इस बीच, संयुक्त राज्य अमेरिका ने घोषणा की कि वह म्यांमार के एक सशस्त्र समूह और उसके चार वरिष्ठ नेताओं पर प्रतिबंध लगा रहा है। उन पर अमेरिकियों को निशाना बनाने वाले साइबर घोटाला केंद्रों का समर्थन करने का आरोप है।
अमेरिकी वित्त विभाग ने बताया कि यह कार्रवाई डेमोक्रेटिक करेन बेनेवोलेंट आर्मी (डीकेबीए) के साथ-साथ ट्रांस एशिया और ट्रॉथ स्टार जैसी कंपनियों पर इन घोटाला केंद्रों को विकसित करने में कथित भूमिका के लिए लक्षित है।
वित्त विभाग ने आगे कहा, “घोटाला केंद्रों के कर्मचारियों – जो अक्सर स्वयं मानव तस्करी के शिकार होते हैं – द्वारा अर्जित राजस्व संगठित अपराध को बढ़ावा देता है और डीकेबीए को अपनी हानिकारक गतिविधियों को वित्तपोषित करने में सक्षम बनाता है।”

