अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सख्त रुख और कानूनी पैंतरेबाजी से विश्व राजनीति में उथल-पुथल मची हुई है। वे जो निर्णय ले रहे हैं, वे नये तर्क पैदा कर रहे हैं। अब अमेरिका ने अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से हटने का निर्णय लिया है। अमेरिका के इन निर्णयों का उसकी वित्तीय स्थिति और अर्थव्यवस्था पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।
अमेरिका के निर्णयों का प्रभाव
इन अमेरिकी निर्णयों से वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण परिवर्तन हो सकते हैं। पहला, बहुपक्षीय सहयोग कमजोर हो सकता है। जिससे वैश्विक समस्याओं एवं कठिनाइयों का समाधान बढ़ जाएगा। तो दूसरा पहलू यह है कि चीन और रूस को लाभ हो सकता है। इसकी वजह से वह अमेरिका की अनुपस्थिति में अपनी पकड़ मजबूत कर सकता है। और तीसरा कारण यह है कि वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है। यही कारण है कि अमेरिका जी-20 में एक प्रमुख आर्थिक शक्ति है। ट्रम्प के निर्णयों से एक बात स्पष्ट है: प्रशासन बहुपक्षीय संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय समझौतों को अमेरिकी संप्रभुता के लिए खतरा मानता है। जिससे अमेरिका की वैश्विक छवि कमजोर होगी। अमेरिकी सरकार के इस निर्णय का अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ सकता है। यदि अमेरिका इस मंच से हट जाता है या अपनी भूमिका को सीमित कर देता है, तो इससे चीन और अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं को अंतर्राष्ट्रीय निर्णय लेने में अधिक प्रभावशाली भूमिका निभाने का अवसर मिल सकता है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने घोषणा की है कि वह दक्षिण अफ्रीका में होने वाली जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग नहीं लेंगे। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व वाला अमेरिकी प्रशासन एक के बाद एक अंतरराष्ट्रीय संगठनों और मंचों से खुद को दूर कर रहा है। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या अमेरिका जी-20 से भी अलग होने की तैयारी कर रहा है?
पेरिस जलवायु समझौता
ट्रम्प प्रशासन ने जनवरी 2025 में WHO से हटने की घोषणा की, तथा कहा कि यह COVID-19 महामारी के दौरान अप्रभावी रहेगा। अमेरिका ने पहले जलवायु परिवर्तन से निपटने के इस वैश्विक प्रयास से हटने की घोषणा की थी और अब ट्रम्प प्रशासन ने फिर से इससे हटने का फैसला किया है। अमेरिका ने इस महीने इस फोरम पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए इसे छोड़ दिया। ट्रम्प प्रशासन ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान अक्टूबर 2017 में अमेरिका की सदस्यता समाप्त कर दी थी। इसके बाद उन्होंने कहा कि यह संगठन इजरायल विरोधी है।
क्या अमेरिका भी जी-20 से हट जाएगा?
अब जबकि अमेरिका ने जी-20 बैठक में अपने विदेश मंत्री को न भेजने का फैसला किया है, तो अटकलें लगाई जा रही हैं कि ट्रंप प्रशासन भी इस आर्थिक मंच से दूर रह सकता है। जी-20 वैश्विक अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक है, लेकिन ट्रम्प प्रशासन बहुपक्षीय संगठनों की भूमिका पर लगातार सवाल उठा रहा है।