Thursday, February 6, 2025
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अमेरिका से लौटे भारतीयों की आपबीती सुनकर मन भर आयेगा, लाखों रुपए खर्च कर America गये मगर हथकड़ी और बेड़ियों में बाँधकर Trump ने बैरंग लौटाया

अमेरिकी विमान से बुधवार को वापस लाए गए 104 निर्वासितों में शामिल लोगों ने दावा किया है कि पूरी यात्रा के दौरान उन्हें (निर्वासित प्रवासियों के) हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां बांधी गईं तथा अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरने के बाद ही उन्हें हटाया गया। बताया जा रहा है कि इन लोगों को पैरों में बेड़ियों के चलते वाशरूम जाने में भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। हम आपको बता दें कि विभिन्न राज्यों से 104 अवैध प्रवासियों को लेकर एक अमेरिकी सैन्य विमान बुधवार को अमृतसर में उतरा। अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई के तहत डोनाल्ड ट्रंप सरकार द्वारा वापस भेजा गया यह भारतीयों का पहला जत्था है। इनमें से 33-33 हरियाणा और गुजरात से, 30 पंजाब से, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से तथा दो चंडीगढ़ से हैं। निर्वासित लोगों में 19 महिलाएं और 13 नाबालिग शामिल हैं, जिनमें एक चार वर्षीय लड़का और पांच व सात वर्ष की दो लड़कियां शामिल हैं। पंजाब के निर्वासित लोगों को अमृतसर हवाई अड्डे से पुलिस वाहनों में उनके मूल स्थानों तक ले जाया गया। वहीं गुजरात के 33 लोगों को लेकर एक विमान आज सुबह अहमदाबाद हवाई अड्डे पर उतरा। भारतीयों के साथ जिस तरह का अमानवीय बर्ताव किया गया वह बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुका है और संसद के दोनों सदनों में आज विपक्ष ने इस मुद्दे को उठाते हुए हंगामा किया जिससे कार्यवाही बाधित हुई।
वापस लौटे लोगों की कहानी
जो लोग अमेरिका से वापस आये हैं उनमें से एक पंजाब के गुरदासपुर जिले के हरदोरवाल गांव के रहने वाले 36 वर्षीय जसपाल सिंह ने बताया कि 24 जनवरी को अमेरिकी सीमा पार करने के बाद उन्हें अमेरिकी सीमा गश्ती दल ने पकड़ लिया था। अपने गृह नगर पहुंचने के बाद जसपाल ने बताया कि एक ट्रैवल एजेंट ने उनके साथ धोखाधड़ी की है, क्योंकि उनसे वादा किया गया था कि उन्हें कानूनी तरीके से अमेरिका भेजा जाएगा। जसपाल ने कहा, “मैंने एजेंट से कहा था कि वह मुझे उचित वीजा (अमेरिका के लिए) के साथ भेजे। लेकिन उसने मुझे धोखा दिया।” उन्होंने बताया कि सौदा 30 लाख रुपए में हुआ था। जसपाल ने दावा किया कि वह पिछले साल जुलाई में हवाई जहाज से ब्राजील पहुंचा था। उसने कहा कि वादा किया गया था कि अमेरिका की अगली यात्रा भी हवाई जहाज से ही होगी। हालांकि उसके एजेंट ने उसे “धोखा” दिया, जिसने उसे अवैध रूप से सीमा पार करने के लिए मजबूर किया। ब्राजील में छह महीने रहने के बाद वह सीमा पार कर अमेरिका चला गया, लेकिन अमेरिकी सीमा गश्ती दल ने उसे गिरफ्तार कर लिया। जसपाल ने बताया कि उसे वहां 11 दिनों तक हिरासत में रखा गया और फिर वापस घर भेज दिया गया। जसपाल ने कहा कि उसे नहीं पता था कि भारत भेजा जा रहा है। उसने दावा किया, “हमने सोचा कि हमें किसी दूसरे शिविर में ले जाया जा रहा है। फिर एक पुलिस अधिकारी ने हमें बताया कि भारत ले जाया जा रहा है। हमें हथकड़ी लगाई गई और पैरों में बेड़ियां डाल दी गईं। इन्हें अमृतसर हवाई अड्डे पर खोला गया।” जसपाल ने कहा कि निर्वासन से वह टूट गए हैं। “बड़ी रकम खर्च हुई। पैसे उधार लिए गए थे।” 

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होशियारपुर स्थित अपने गृह नगर पहुंचे दो अन्य निर्वासितों ने भी अमेरिका पहुंचने के दौरान उन्हें हुई कठिनाइयों के बारे में बताया। होशियारपुर के टाहली गांव के रहने वाले हरविंदर सिंह ने बताया कि वह पिछले साल अगस्त में अमेरिका के लिए रवाना हुए थे। उन्हें कतर, ब्राजील, पेरू, कोलंबिया, पनामा, निकारागुआ और फिर मैक्सिको ले जाया गया। उन्होंने बताया कि मैक्सिको से उन्हें अन्य लोगों के साथ अमेरिका ले जाया गया। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “हमने पहाड़ियां पार कीं। एक नाव, जो उन्हें अन्य व्यक्तियों के साथ ले जा रही थी, समुद्र में डूबने वाली थी, लेकिन हम बच गए।” हरविंदर सिंह ने कहा कि उन्होंने एक व्यक्ति को पनामा के जंगल में मरते हुए तथा एक को समुद्र में डूबते हुए देखा। हरविंदर सिंह ने बताया कि उनके ट्रैवल एजेंट ने वादा किया था कि उन्हें पहले यूरोप और फिर मैक्सिको ले जाया जाएगा। उन्होंने बताया कि अमेरिका की अपनी यात्रा के लिए उन्होंने 42 लाख रुपए खर्च किए। उन्होंने कहा, “कभी-कभी हमें चावल मिल जाता था। कभी-कभी हमें खाने को कुछ नहीं मिलता था। हमें बिस्कुट मिलते थे।”
पंजाब से निर्वासित एक अन्य व्यक्ति ने अमेरिका जाने के लिए इस्तेमाल किए गए ‘डंकी रूट’ के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “रास्ते में हमारे 30,000-35,000 रुपये के कपड़े चोरी हो गए।” निर्वासित व्यक्ति ने बताया कि उसे पहले इटली और फिर लैटिन अमेरिका ले जाया गया। उन्होंने बताया कि नाव से 15 घंटे लंबी यात्रा करनी पड़ी और 40-45 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। उन्होंने कहा, “हमने 17-18 पहाड़ियां पार कीं। अगर कोई फिसल जाता तो उसके बचने की कोई संभावना नहीं होती… हमने बहुत कुछ देखा है। अगर कोई घायल हो जाता तो उसे मरने के लिए छोड़ दिया जाता था। हमने लाशें देखीं।”
पंजाब के कई परिवार परेशान
दूसरी ओर, अवैध आव्रजन के कारण अमेरिका से निर्वासित 104 भारतीयों में शामिल पंजाब के लोगों के परिजनों का कहना है कि उन्होंने सुनहरे भविष्य की उम्मीद में अपने परिजन को अमेरिका भेजने के लिए भारी-भरकम राशि उधार ली, लेकिन अब इन लोगों को स्वदेश भेजे जाने के कारण उन्हें लगता है कि वह कर्ज के बोझ से कभी मुक्त नहीं हो पाएंगे। परिजनों ने आरोप लगाया कि ट्रैवल एजेंट ने उनके परिजन को अमेरिका भेजने के लिए अनुचित तरीके अपनाए, जिससे वे अनजान थे। उन्होंने इन एजेंट के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की। हम आपको बता दें कि पंजाब के जिन 30 लोगों को निर्वासित किया गया है, उनमें छह कपूरथला के, पांच अमृतसर के, चार-चार पटियाला और जालंधर के, दो-दो होशियारपुर, लुधियाना, एसबीएस नगर के और एक-एक गुरदासपुर, तरनतारन, संगरूर, एसएएस नगर और फतेहगढ़ साहिब के हैं।
होशियारपुर के दारापुर गांव में कर्ज के बोझ तले दबे सुखपाल (35) के परिवार को अपना भविष्य अंधेरे में नजर आ रहा है। पेशे से शेफ सुखपाल अक्टूबर 2024 में एक साल के ‘वर्क परमिट’ पर इटली गया था। उसके परिवार ने कहा कि वह इस बात से पूरी तरह से अनजान है कि सुखपाल कैसे अमेरिका पहुंचा। सुखपाल के पिता प्रेम सैनी सरकारी स्कूल के अध्यापक रह चुके हैं। उन्होंने बताया कि सुखपाल के वीजा के लिए सभी आवश्यक दस्तावेजों की व्यवस्था इटली में उनके रिश्तेदारों ने की थी। प्रेम सैनी ने कहा, “जहां तक हमें पता था, वह इटली में कानूनी रूप से शेफ के रूप में काम कर रहा था और उसके पास सभी वैध दस्तावेज थे। हमने उससे आखिरी बार लगभग 20-22 दिन पहले बात की थी और तब वह इटली में ही था। उसने कहीं और जाने के बारे में कोई जिक्र नहीं किया। उसके बाद से हमारी उससे कोई बातचीत नहीं हुई।” प्रेम सैनी ने कहा, ”हमें मीडिया से उसके निर्वासन के बारे में पता चला। हमें नहीं मालूम कि वह अमेरिका कब, कैसे और क्यों पहुंचा। उसके घर पहुंचने के बाद ही हमें उसकी अमेरिका यात्रा के पीछे की असली कहानी पता चलेगी।” कपूरथला के बेहबल बहादुर निवासी गुरप्रीत सिंह के परिवार ने उसे विदेश भेजने के लिए अपना घर गिरवी रख दिया था। गुरप्रीत के परिवार के एक सदस्य ने कहा, “हमने कर्ज लिया, घर गिरवी रखा और रिश्तेदारों से भी पैसे उधार लिए। हमने उसे अमेरिका भेजने के लिए 45 लाख रुपये खर्च किए। अब मीडिया में आई खबरों से पता चला है कि उसे निर्वासित कर दिया गया है।”
फतेहगढ़ साहिब के जसविंदर सिंह की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जिसे अमेरिका भेजने के लिए उसके परिजनों ने 50 लाख रुपये खर्च किए। इसके लिए उन्हें ऊंची ब्याज दर पर कर्ज लेना पड़ा और रिश्तेदारों से मदद भी मांगनी पड़ी। जसविंदर के एक परिजन ने कहा, “हमने सोचा था कि वह वहां पैसे कमा लेगा।” मोहाली के जरौट गांव में प्रदीप सिंह (21) के परिवार के सदस्यों ने राज्य सरकार से मदद मांगी और कहा कि उन्होंने उसे अमेरिका भेजने के लिए भारी कर्ज लिया है। परिजनों ने दावा किया प्रदीप को उज्ज्वल भविष्य के लिए अमेरिका भेजने के वास्ते उन्हें अपनी जमीन बेचनी पड़ी और 20-25 लाख रुपये कर्ज लेना पड़ा। लेकिन चूंकि, प्रदीप को निर्वासित कर दिया गया है, इसलिए परिवार के सदस्यों ने मांग की कि या तो राज्य सरकार उन्हें कर्ज चुकाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करे या फिर प्रदीप को सरकारी नौकरी दे।
गुजरात के लोगों के बारे में जानें
वहीं गुजरात पहुँचे लोगों की बात करें तो आपको बता दें कि सहायक पुलिस आयुक्त (जी) डिविजन आर.डी. ओझा ने बताया कि देश वापसी के तुरंत बाद इन 33 प्रवासियों को पुलिस के वाहनों में गुजरात में उनके मूल स्थानों पर पहुंचाया गया। इनमें कुछ बच्चे और महिलाएं भी शामिल थीं। ओझा ने हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘बच्चों और महिलाओं सहित 33 गुजराती प्रवासियों को लेकर एक विमान सुबह अमृतसर से हवाई अड्डे पर उतरा। वे उन लोगों में से थे जिन्हें अमेरिका से निर्वासित किया गया था। हमने उन्हें उनके संबंधित स्थानों पर ले जाने के लिए हवाई अड्डे पर पुलिस वाहन तैनात किए।’’ जब मीडियाकर्मियों ने निर्वासित प्रवासियों से बात करने की कोशिश की, तो उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया और पुलिस वाहनों में अपने मूल स्थानों के लिए रवाना हो गए। सूत्रों ने बताया कि उनमें से अधिकांश मेहसाणा, गांधीनगर, पाटन, वडोदरा और खेड़ा जिलों से हैं।
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