उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को समाजवादी पार्टी नेता आजम खान की पत्नी तजीन फातिमा और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान द्वारा दायर अलग-अलग याचिकाओं पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है।
इन याचिकाओं में कथित फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में उनकी दोषसिद्धि को निलंबित करने का अनुरोध किया गया है।
उनकी याचिकाओं पर नोटिस जारी करते हुए प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा तथा न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील निजाम पाशा से पूछा कि अदालत दोषसिद्धि पर रोक कैसे लगा सकती है।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, दोषसिद्धि पर रोक दुर्लभ मामलों में ही लगाई जानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि आमतौर पर सजा को निलंबित किया जाता है।
फातिमा और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान ने कथित फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में उनकी दोषसिद्धि को निलंबित करने से इनकार करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है।
उच्च न्यायालय ने 18 अक्टूबर, 2023 को रामपुर अधीनस्थ अदालत द्वारा सुनाई गई सजा को तो निलंबित कर दिया था, लेकिन उसने दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इसके कारण जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) के तहत उनकी अयोग्यता प्रभावी बनी हुई है।
याचिका में तर्क दिया गया है कि उच्च न्यायालय के इस इनकार का उनके राजनीतिक करियर और सामाजिक प्रतिष्ठा पर दूरगामी और अपरिवर्तनीय परिणाम होगा। याचिका में उच्च न्यायालय के तर्क को गलत और अस्थिर बताते हुए कहा गया है कि जालसाजी का कोई सबूत नहीं था।