अंतरिक्ष यात्री और ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने गुरुवार को एक्सिओम-4 मिशन के बारे में बताते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर पहला अनुभव अमूल्य था। शुक्ला ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मैं इस देश के हर नागरिक का शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ जिन्होंने इस तरह से व्यवहार किया जिससे ऐसा लगा कि यह मिशन वाकई उनका है। मुझे सचमुच लगा कि यह पूरे देश का मिशन है। उन्होंने यह भी कहा कि आज भी अंतरिक्ष से भारत दुनिया में सबसे सुंदर दिखता है।
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शुभांशु शुक्ला ने कहा कि मैं भारत सरकार, इसरो और अपने सहयोगियों का धन्यवाद करना चाहता हूँ… हम फाल्कन 9 यान के ऊपर उड़ान भर रहे थे… क्रू ड्रैगन उन तीन यानों में से एक है जो इंसानों को अंतरिक्ष में ले जा सकते हैं… इस मिशन में मेरा काम मिशन पायलट का था। क्रू ड्रैगन में चार सीटें हैं। मैं मिशन पायलट था और मुझे कमांडर के साथ काम करना था और क्रू ड्रैगन की प्रणालियों के साथ बातचीत करनी थी… हमें भारतीय शोधकर्ताओं द्वारा परिकल्पित, विकसित और कार्यान्वित किए गए प्रयोग करने थे। साथ ही, STEM प्रदर्शन भी करने थे, तस्वीरें और वीडियोग्राफ भी लेने थे।
उन्होंने कहा कि मानव अंतरिक्ष मिशन को अंजाम देने का फ़ायदा सिर्फ़ प्रशिक्षण से कहीं ज़्यादा है। वहाँ जाने मात्र से हमें जो अतिरिक्त ज्ञान मिलता है, वह अमूल्य है। पिछले एक साल में मैंने जो भी जानकारी इकट्ठा की है, वह हमारे अपने मिशनों, गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए बेहद उपयोगी होगी… बहुत जल्द हम अपने कैप्सूल से, अपने रॉकेट से और अपनी धरती से किसी को अंतरिक्ष में भेजेंगे… यह अनुभव ज़मीन पर सीखे गए अनुभव से बहुत अलग होता है। शरीर कई बदलावों से गुज़रता है… अंतरिक्ष में 20 दिन बिताने के बाद शरीर गुरुत्वाकर्षण में रहना भूल जाता है।
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शुक्ला ने कहा कि यह मिशन बेहद सफल रहा है। हम अपने सभी तकनीकी उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल रहे हैं… ऐसे मिशन के क्रियान्वयन से बहुत सी जानकारी मिलती है जिसे मापा या दर्ज नहीं किया जा सकता। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि भारत आज भी अंतरिक्ष से सारे जहां से अच्छा दिखता है। जय हिंद, जय भारत।