Friday, March 21, 2025
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इन 5 खाड़ी देशों से बोरी भरकर पैसा भारत आ रहा है, RBI ने पूरा आंकड़ा निकालकर सामने रख दिया

भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी मजबूती बनाए हुए है, जो कृषि क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन और उपभोग (खपत) में सुधार से साफ दिखता है। भारत में हर साल विदेशों से पैसा आता है। इन्हीं पैसों से पता चलता है कि विदेशों में कितने भारतीय प्रवासी रहते हैं। आरबीआई ने अपनी बुलेटिन में इसी से जुड़े आंकड़े जारी किए हैं। अमेरिका और ब्रिटेन जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाओं से भारत भेजे जाने वाले धन का हिस्सा बढ़कर खाड़ी देशों से 2023-24 में भेजे गए धन से अधिक हो गया है। आरबीआई के एक लेख में यह बात कही गई है। 

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कौन से खाड़ी देशों से आ रहा पैसा?
2023-24 में भारत भेजे गए कुल धन में खाड़ी सहयोग परिषद, जिनमें संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कतर, ओमान और बहरीन शामिल हैं। इनकी हिस्सेदारी करीब 38 फीसदी रही है। भारत आए कुल विदेशी पैसे 118.7 बिलियन डॉलर का 38 फीसदी हैं। ये इन्हीं खाड़ी देशों से आया है। अब अगर हम 118.7 बिलियन डॉलर का 38 फीसदी निकालें तो वो 45.10 बिलियन डॉलर होगा। खाड़ी देशों में भारतीय प्रवासी दुनिया भर में कुल भारतीय प्रवासियों का लगभग आधा हिस्सा हैं। खाड़ी देशों के अलावा विकसित अर्थव्यवस्थाएं भी पिछले कुछ वर्षों में भारत में आने वाले धन प्रेषण के प्रमुख स्रोत के रूप में उभरी हैं। लेख के मुताबिक, भारत की कामकाजी उम्र वाली आबादी 2048 तक बढ़ने की उम्मीद है, इसलिए भारत दुनिया का सबसे बड़ा श्रम आपूर्तिकर्ता होगा। 

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भारतीय प्रवासियों की संख्या 1.85 करोड़ हुई
बुलेटिन में भारत के धन प्रेषण की बदलती गतिशीलता पर प्रकाशित लेख देश में भेजे जाने वाले धन के विभिन्न आयामों को दर्शाता है। लेख के मुताबिक, विदेश में रहने वाले भारतीय प्रवासियों की संख्या 1990 के 66 लाख से तिगुना होकर 2024 में 1.85 करोड़ हो गई। इस दौरान वैश्विक प्रवासियों में भारतीयों की हिस्सेदारी भी 4.3 प्रतिशत से बढ़कर छह प्रतिशत हो गई। 
कौन सा देश टॉप पर है
भारत के कुल प्रेषण में अमेरिका की हिस्सेदारी सबसे बड़ी रही, जो 2020-21 के 23.4 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 27.7 प्रतिशत हो गई। वहीं ब्रिटेन से आने वाला धन भी 2020-21 के 6.8 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 10.8 प्रतिशत हो गया है। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने दूसरे बड़े स्रोत के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखी है। इसकी हिस्सेदारी 18 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 19.2 प्रतिशत हो गई। 
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