उच्चतम न्यायालय सोमवार को उस याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी-20) को देश भर में लागू करने को चुनौती दी गई है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि लाखों वाहन मालिकों को ऐसा ईंधन इस्तेमाल करने के लिए मजबूर किया जा रहा है जो उनके वाहनों के अनुरूप नहीं है।
यह जनहित याचिका प्रधान न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष एक सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
अधिवक्ता अक्षय मल्होत्रा द्वारा दायर याचिका में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि सभी पेट्रोल पंपों पर इथेनॉल मुक्त पेट्रोल उपलब्ध कराया जाए।
इसमें यह भी अनुरोध किया गया है कि सभी पेट्रोल पंपों और वितरण इकाइयों पर अनिवार्य रूप से इथेनॉल की मात्रा को दिखाने वाला लेबल लगाया जाए ताकि उपभोक्ताओं को साफ-साफ पता चले। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाए कि ईंधन भरते समय उपभोक्ताओं को उनके वाहनों की इथेनॉल अनुकूलता के बारे में सूचित किया जाए।