एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के संभावित राजनीतिक पुनर्मिलन की खबरों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शिवसेना (यूबीटी) सुप्रीमो पर तीखा हमला किया और दावा किया कि उन्होंने अपने चचेरे भाई को अविभाजित पार्टी के भीतर कभी उभरने नहीं दिया। शिवसेना प्रवक्ता और ठाणे के सांसद नरेश म्हास्के ने भी उद्धव ठाकरे को आधुनिक दुर्योधन बताया। म्हास्के ने इस कथित विचार-विमर्श का श्रेय उद्धव ठाकरे की राजनीति में प्रासंगिक बने रहने की कोशिश को दिया। उन्होंने दावा किया कि शिवसेना (यूबीटी) नेता राज ठाकरे की ओर इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि उनकी पार्टी में भीड़ जुटाने वाले नेताओं की कमी है।
इसे भी पढ़ें: राजनीतिक अस्तित्व पर मंडराते संकट को देख Uddhav Thackeray और Raj Thackeray के बीच जागा ‘भाई प्रेम’, शिंदे की पार्टी बोली- शून्य में शून्य जोड़ने से कुछ हासिल नहीं होता
म्हास्के ने आरोप लगाया कि सेना (यूबीटी) के पास भीड़ जुटाने वाले नेता नहीं हैं। इस अहसास ने उन्हें राज ठाकरे की ओर रुख करने के लिए प्रेरित किया है। पार्टी लोकसभा और राज्यसभा दोनों में अस्तित्व के संकट का सामना कर रही है। म्हास्के ने दावा किया कि उद्धव ठाकरे ने अविभाजित शिवसेना में राज ठाकरे के उदय का पुरजोर विरोध किया था। उन्होंने कहा कि उद्धव ने अपने भाई राज ठाकरे को पार्टी में कभी आगे नहीं बढ़ने दिया, तब भी नहीं जब बालासाहेब ठाकरे ने उन्हें महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारियाँ देने का प्रस्ताव दिया था। उद्धव ने इसका पुरज़ोर विरोध किया।
इसे भी पढ़ें: Uddhav Thackeray पर Nitesh Rane ने साधा निशाना, पत्नी का नाम लेकर पूछा ये सवाल
म्हास्के ने जोर देकर कहा कि राज ठाकरे शिवसेना (यूबीटी) के प्रलोभनों में नहीं फंसेंगे। उन्हें अविभाजित सेना से बाहर निकाल दिया गया था। अब वे चाहते हैं कि वे डूबते जहाज पर सवार हो जाएं – लेकिन राज कोई भोले-भाले राजनेता नहीं हैं। उन्होंने शिवसेना पर वक्फ अधिनियम पर उनके रुख का हवाला देते हुए हिंदुत्व पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया।।