गांधी जी का सूक्ति वाक्य है बोलो तभी जब वो मौन से बेहतर हो। कई बार बड़बोलेपन में इंसान जो नहीं जरूरी हो वो भी कह जाता है। वहीं खामोशी को सबसे तेज आवाज भी माना जाता है और डिप्लोमैसी में इसका असर भी जोरदार रहता है।
2 अप्रैल को ट्रंप अपने साथ एक बड़ा सा चार्ट लेकर आए थे, जिसमें अमेरिका द्वारा दुनियाभर के देशों पर लगाए गए टैरिफ की दरें लिखी हुई थी। ट्रंप ने कहा था कि 90 दिन की मोहलत दे रहा हूं। जिन्हें अमेरिका के साथ धंधा करना है वो आकर मुझसे बात कर लें नहीं तो चार्ट के मुताबिक रेसिप्रोकल टैरिफ लगा दूंगा। रेसिप्रोकल टैरिफ यानी जैसे को तैसा वाला टैक्स। ट्रंप का तर्क है कि दुनिया के कई देश अमेरिका पर मनचाहे ढंग से टैरिफ लगाते हैं और अमेरिका चुपचाप उनके साथ व्यापार करता रहता है। ऐसे में उन्हें नुकसान सहना पड़ता है। हिंदुस्तान के साथ भी ऐसा ही है। अमेरिका के साथ व्यापार में भारत का ट्रेड सरपल्स रहा है और ट्रंप इसे खत्म करना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने एक दफे भारत को टैरिफ किंग कहकर भी संबोधित किया था। पहले टैरिफ की डेडलाइन 9 जुलाई तय की गई थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 1 अगस्त कर दिया गया। 2 अप्रैल को जो चार्ज दिखाया गया था, उसके मुताबिक कोई समझौता न होने की सूरत में भारत पर 26 फीसदी टैरिफ लगाया जा सकता है। समझौते को लेकर दोनों पक्ष कर रहे थे कि डील लगभग फाइनल हो चुकी है और बस ऐलान बाकी है। लेकिन इससे ठीक पहले ही ट्रंप ने एक ऐसा ऐलान कर दिया जिससे भारत को झटका लगा। ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की बात कह दी। इसके बाद ट्रंप इतने भर में नहीं रुके भारत की तरफ से फौरन कोई प्रतिक्रिया ना आता देख ट्रंप ने कुछ ही घंटों बाद एक और पोस्ट किया और भारत के साथ साथ रूस को निशाने पर लेते हुए दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को डेड इकोनॉमी करार दिया।
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ट्रंप के 25 फीसदी टैरिफ लगाने और भारत की अर्थव्यवस्था को रूस के साथ जोड़कर एक ‘डेड इकोनॉमी’ बताने को लेकर विपक्ष लोकसभा में जमकर बरसा। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सिवाय सब जानते हैं कि भारत एक डेड इकोनॉमी (बर्बाद अर्थव्यवस्था) है तथा प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था को खत्म किया है। उन्होंने यह दावा भी किया कि अमेरिका के साथ व्यापार समझौता अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शर्तों पर होगा और प्रधानमंत्री मोदी वही करेंगे, जो अमेरिकी राष्ट्रपति कहेंगे। वहीं केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि केंद्र सरकार देश के राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी कदम उठाएगी। कसभा में बोलते हुए, गोयल ने आगे कहा कि केंद्र सरकार ट्रंप के 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के फैसले के प्रभावों की जांच कर रही है। भारत में विपक्षी दलों की ओर से अतिरिक्त टैरिफ को लेकर सरकार से जवाब भी मांगा गया. इन सबके बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप रहे।
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आपको याद होगा कि ऑपरेशन सिंदूर को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से लगभग रोज ये दावे किए जाते थे कि भारत और पाकिस्तान के बीच उन्होंने सीजफायर करवाया। ट्रेड डील को लेकर बात किए जाने पर सीजफायर पर दोनों देशों के तैयार होने की बात कही गई। हालांकि हरेक बार भारत की तरफ से ट्रंप के दावे का खंडन किया गया। पीएम मोदी ने लोकसभा में खड़े होकर साफ शब्दों में कहा कि दुनिया के किसी देश ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर नहीं करवाया है। इसके बाद अब ट्रंप की तरफ से 25 प्रतिशत का टैरिफ बम भारत पर फोड़ा गया है। लेकिन फिर भी अभी तक पीएम मोदी की तरफ से इस पर कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं आई है। पीएम मोदी अक्सर सार्वजनकि मंचों से अपने विचारों को प्रखर तरीके से प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते हैं। लेकिन बात जब अंतरराष्ट्रीय राजनीति की आती है तो वे संयम को अपना सबसे बड़ा हथियार बना लेते हैं। डोनाल्ड ट्रंप के बारे में दुनिया ये समझ ही नहीं पा रही है कि इसका करे क्या? ये सवेरे कुछ बोलता है, शाम को कुछ सोचता है औऱ रात को कुछ और ही करता है। इसके सोचने, समझने और कहने व करने में कोई कनेक्शन नहीं है। पीएम मोदी का रुख बताता है कि वे ट्रंप के बड़बोलेपन को गंभीरता से लेने की बजाए बड़ा देश बड़ी सोच की नीति पर चल रहे हैं। वैसे भी पीएम मोदी अक्सर अपने शब्दों से ज्यागा अपने काम से जवाब देने के लिए जाने जाते हैं।