राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) ने लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से जुड़े एक संदिग्ध आतंकी नेटवर्क को निशाना बनाकर एक बड़े अभियान के तहत पांच राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों – तमिलनाडु, जम्मू और कश्मीर, उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र, दिल्ली और आंध्र प्रदेश – में 22 ठिकानों पर एक साथ छापे मारे। इस मामले की सबसे पहले द फेडरल ने रिपोर्ट की थी, जिससे भारत में चरमपंथी गतिविधियों की चल रही जाँच में एक महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।
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अधिकारियों के अनुसार, यह कार्रवाई एक आतंकी साजिश से जुड़े मामले की जांच के सिलसिले में की जा रही है।
अधिकारियों के अनुसार जम्मू-कश्मीर में नौ, बिहार में आठ, उत्तर प्रदेश में दो तथा कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में एक-एक स्थानों पर तलाशी ली जा रही है।
उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर में बारामूला, कुलगाम, अनंतनाग और पुलवामा जिलों में कार्रवाई जारी है।
इस कार्रवाई के संबंध में अभी और जानकारी नहीं मिल पाई है।
तमिलनाडु में लश्कर-ए-तैयबा के एक सदस्य की गिरफ्तारी
ये छापे उस मामले से जुड़े हैं जिसने 26 अप्रैल, 2025 को तमिलनाडु के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) द्वारा बिहार के कटिहार जिले के 22 वर्षीय युवक अखलातुर मुहम्मद को चेंगलपट्टू से गिरफ्तार करने के बाद तूल पकड़ा था।
दिहाड़ी पर काम करने वाला चित्रकार मुहम्मद कथित तौर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को निशाना बनाने की साजिश रच रहा था। एनआईए ने 19 अगस्त, 2025 को इस मामले की जाँच अपने हाथ में ले ली थी, जब यह खुलासा हुआ कि मुहम्मद व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के ज़रिए सीमा पार लश्कर-ए-तैयबा के भर्तीकर्ताओं और संचालकों के संपर्क में था। उसने कथित तौर पर अपनी कमाई का 40 प्रतिशत हथियार खरीदने के लिए बचाया था, जिससे आतंकी गतिविधियों के वित्तपोषण को लेकर चिंता बढ़ गई थी।
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समन्वित आतंकी नेटवर्क
एनआईए का नवीनतम अभियान जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के लोगों को एक समन्वित आतंकी नेटवर्क से जोड़ने वाली खुफिया जानकारी पर आधारित है। सूत्रों से संकेत मिलता है कि एजेंसी ने जम्मू-कश्मीर में कई संदिग्ध चरमपंथियों की पहचान की है, जिनके संचार से इन राज्यों के लोगों के साथ संबंधों का पता चला है। इन छापों का उद्देश्य कट्टरपंथ, हथियारों की खरीद और आतंकी गतिविधियों की संभावित योजनाओं के सबूत उजागर करना है।
एनआईए की कार्रवाई तमिलनाडु में कई हाई-प्रोफाइल अभियानों के बाद हुई है, जिनमें अगस्त 2025 में प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जुड़े पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) कार्यकर्ता रामलिंगम की 2019 में हुई हत्या से जुड़े छापे भी शामिल हैं। एजेंसी ने 2022 के कोयंबटूर कार बम विस्फोट की जांच भी अपने हाथ में ले ली है, जिससे तमिलनाडु के आतंकवाद-रोधी अभियानों के केंद्र बिंदु के रूप में उभरने पर प्रकाश डाला गया है।
जारी जांच
अधिकारियों ने 8 सितंबर की छापेमारी के दौरान जब्त की गई वस्तुओं या की गई गिरफ्तारियों के बारे में विशिष्ट विवरण का खुलासा नहीं किया है, लेकिन अभियान का दायरा आतंकी नेटवर्क को खत्म करने के लिए एनआईए की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। जांच जारी है, और छापेमारी के दौरान एकत्र किए गए सबूतों का विश्लेषण करने के साथ ही आगे की प्रगति की उम्मीद है। फेडरल इस खबर पर अपडेट के लिए नज़र रखता रहेगा।