ओडिशा में मुख्यमंत्री मोहन माझी के नेतृत्व वाली सरकार ने कार्यभार संभालने के सात महीने बाद एक नई पहल की है। सरकार ने सभी विभागीय सचिवों को निर्देश दिया है कि वे कम से कम एक ग्राम पंचायत का दौरा करें और वहां बुनियादी सुविधाओं का आकलन करें। इसके अलावा, उन्हें स्कूलों में मिड-डे मील (MDM) चखने और उसकी गुणवत्ता की जांच करने को भी कहा गया है।
राज्य के विकास आयुक्त अनु गर्ग ने सभी विभागीय सचिवों को पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने को कहा है कि अधिकारी एसटी/एससी छात्रावासों, स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों या अनाथालयों में भोजन करें (भुगतान के आधार पर)। इसका उद्देश्य भोजन की गुणवत्ता और वहां के माहौल का निरीक्षण करना है। अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे जमीनी स्तर पर सरकारी योजनाओं की निगरानी करें और उप-मंडल स्तर पर एक रात भी बिताएं, ताकि वे छात्रों और निवासियों से सीधा फीडबैक प्राप्त कर सकें।
स्कूलों और अस्पतालों में जाकर करेंगे निरीक्षण
अधिकारियों को कहा गया है कि वे विभिन्न क्षेत्रों के लोगों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, आंगनवाड़ी केंद्रों और आदिवासी लड़कियों के छात्रावासों में जाकर लाभार्थियों से संवाद करें।
इस निर्देश के पीछे एक प्रमुख कारण मिड-डे मील की गुणवत्ता को लेकर उठ रहे सवाल हैं। पोषण विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ती लागत और पोषण मानकों को देखते हुए बच्चों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता में सुधार की जरूरत है। राज्य सरकार ने हाल ही में प्राथमिक छात्रों के लिए प्रति बच्चा खर्च 5.90 रुपये और उच्च प्राथमिक छात्रों के लिए 8.82 रुपये कर दिया है, जिससे 43 लाख बच्चों को लाभ मिलेगा। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि दालों और अंडों जैसी जरूरी सामग्रियों की बढ़ती कीमतों को देखते हुए यह खर्च 20 रुपये प्रति बच्चा किया जाना चाहिए। इसी को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने मिड-डे मील मेनू की समीक्षा और सुधार के सुझाव देने के लिए पांच सदस्यीय पोषण विशेषज्ञों की एक समिति बनाई है।
जिलों में विकास योजनाओं की समीक्षा
विकास आयुक्त ने सचिवों से जिलों में खनन क्षेत्र विकास कोष (DMF) और ओडिशा खनिज क्षेत्र विकास निगम (OMC) के तहत खर्च किए गए धन की समीक्षा करने को भी कहा है। अधिकारियों को अंगुल, जाजपुर, झारसुगुड़ा, क्योंझर, कोरापुट, मयूरभंज, रायगढ़ा और सुंदरगढ़ जैसे प्रमुख खनन प्रभावित जिलों में चल रही परियोजनाओं का दौरा करने का निर्देश दिया गया है।
इसके अलावा, सचिवों को जिला मुख्यालयों में समीक्षा बैठक आयोजित करनी होगी और कलेक्टरों तथा अन्य अधिकारियों के साथ दौरे के निष्कर्ष साझा करने होंगे। सभी अधिकारियों को इस संबंध में अपनी रिपोर्ट मुख्य सचिव को सौंपने के लिए कहा गया है।
सरकार ने 30 अतिरिक्त मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, सचिवों और अतिरिक्त सचिवों को जिले आवंटित किए हैं, और उनसे कहा गया है कि वे मार्च के अंत तक अपना पहला दौरा पूरा करें। यह पहल सुनिश्चित करेगी कि सरकारी योजनाएं जमीनी स्तर तक प्रभावी रूप से लागू हो रही हैं या नहीं।