कर्नाटक मंत्रिमंडल ने गुरुवार (16 अक्टूबर) को सरकारी स्कूल और कॉलेज परिसरों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से नियम बनाने का फैसला किया है। मंत्री प्रियांक खड़गे द्वारा घोषित इस कदम ने राजनीतिक हलकों और राज्य के शिक्षा हितधारकों के बीच चर्चा का विषय बना दिया है। यह निर्णय कर्नाटक के सूचना प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी मंत्री प्रियांक खड़गे द्वारा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को लिखे गए पत्र के आधार पर लिया गया है, जिसमें आरएसएस की गतिविधियों और उससे जुड़े संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी।
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कैबिनेट बैठक के बाद मंत्री ने मीडिया को बताया कि हम जो नियम लाना चाहते हैं, वे सार्वजनिक स्थानों, सरकारी स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी परिसरों, सरकारी स्वामित्व वाले संस्थानों और सहायता प्राप्त संस्थानों से संबंधित हैं। हम गृह विभाग, कानून विभाग और शिक्षा विभाग द्वारा जारी पिछले आदेशों को एक साथ लाकर एक नया नियम बनाएंगे। अगले दो-तीन दिनों में, नया नियम कानून और संविधान के दायरे में लागू हो जाएगा।
मंत्री खड़गे के अनुसार, आगामी नियमों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शैक्षणिक संस्थान तटस्थ स्थान बने रहें और केवल शिक्षा और कल्याण पर केंद्रित रहें। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि किसी भी संगठन को, चाहे उसकी विचारधारा कुछ भी हो, ऐसी गतिविधियाँ संचालित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए जो सरकारी संस्थानों में छात्रों को प्रभावित या ध्रुवीकृत कर सकती हों। उन्होंने कहा, “हम किसी भी संगठन को नियंत्रित नहीं कर सकते, लेकिन अब से आप सार्वजनिक स्थानों या सड़कों पर अपनी मनमर्जी नहीं कर सकते। आपको जो भी करना है, वह सरकार की अनुमति लेने के बाद ही करना होगा।”
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खड़गे ने कहा कि ऐसी गतिविधियों को अनुमति देना या न देना सरकार के विवेक पर निर्भर है। अनुमति देने के लिए कुछ मानदण्ड निर्धारित होने का उल्लेख करते हुए मंत्री ने कहा, “आप सिर्फ अधिकारियों को सूचना देकर सड़क पर लाठी लहराते हुए नहीं चल सकते या पथ संचलन नहीं निकाल सकते। ये सभी चीजें उन नियमों का हिस्सा होंगी जिन्हें हम लागू करने जा रहे हैं।”