इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी ने एक बार फिर भारत के खिलाफ बयानबाजी करते हुए कश्मीर मुद्दे को उछाला है। पाकिस्तान के दबाव में जारी इस बयान में ओआईसी ने भारत पर जम्मू कश्मीर में अवैध कब्जे का आरोप लगाया। इसके अलावा ओआईसी ने कश्मीरियों के कथित आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन दोहराया। अब सोचिए यह वही ओआईसी है जो आतंकवाद जैसे मुद्दों पर बात नहीं करता। पाकिस्तान में पल रहे आतंकियों की बात नहीं करता। ये ओआईसी अफगानिस्तान पर पाकिस्तान के हमले चीन ने मुसलमानों पर अत्याचार जैसे मुद्दों पर भी खामोश रहता है। लेकिन पाकिस्तान जैसे देशों के दबाव में जरूर भारत के खिलाफ बयानबाजियां करता है। दरअसल ओआईसी के महासचिवालय की ओर से जारी लिखित बयान में कहा गया कि ओआईसी जम्मू कश्मीर के लोगों की वैध आकांक्षाओं और आत्मनिर्णय के अधिकार के साथ खड़ा है।
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यह ओआईसी की कम और पाकिस्तान की भाषा ज्यादा लग रही है क्योंकि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था है और हमेशा रहेगा। हालांकि ओआईसी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पुराने प्रस्तावों का हवाला देते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कश्मीर विवाद के शांतिपूर्ण समाधान की वकालत की। संगठन ने यह भी कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कदम उठाने चाहिए। लेकिन आपको बता दें ओआईसी का यह रवैया नया नहीं है। पिछले कई दशकों से यह संगठन पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा दिखाई देता रहा है। भारत ने पहले भी ओआईसी के ऐसे बयानों को खारिज करते हुए कहा है कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और इस पर किसी बाहरी संगठन या देश का कोई अधिकार नहीं है।
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वहीं ब्रिटेन की संसद में भारत के समर्थन में पेश किया गया एक नया प्रस्ताव। पाकिस्तान को बहुत चुभने वाला है। दरअसल ब्रिटिश कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने ब्रिटेन की संसद में अर्ली डे मोशन पेश किया है। जिसमें जम्मू कश्मीर पर भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को दोहराया गया है। ये प्रस्ताव ना केवल भारत की ऐतिहासिक और संवैधानिक स्थिति को मान्यता देता है बल्कि पाकिस्तान की ओर से लगातार किए जा रहे दुष्प्रचार के बीच एक मजबूत कूटनीतिक संकेत भी माना जा रहा है। इस प्रस्ताव में कहा गया कि 26 अक्टूबर 1947 को तत्कालीन महाराजा हरी सिंह ने जम्मू कश्मीर का भारत में विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटेटन ने 27 अक्टूबर को इसे स्वीकार किया और इस तरह जम्मू कश्मीर औपचारिक रूप से भारत का हिस्सा बन गया।
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दरअसल हर साल 26 अक्टूबर को एक्सेशन डे मनाया जाता है। यह दिन उस ऐतिहासिक क्षण की याद दिलाता है जब जम्मू कश्मीर ने भारत के साथ एकता और अखंडता के रस्ते को चुना था। यह प्रस्ताव 1947 के उस दौर की भी याद दिलाता है जब पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर पर आक्रमण किया था। राज्य की रक्षा के लिए महाराजा ने भारत से मदद मांगी और भारत ने सैन्य कारवाई कर पाकिस्तान को पीछे धकेला। यही वो मोड़ था जिसने जम्मू कश्मीर के भारत में शामिल होने का मार्ग प्रशस्त किया।

