कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय के छह न्यायाधीशों के मणिपुर का दौरा करने के निर्णय का मंगलवार को स्वागत किया और जातीय हिंसा प्रभावित राज्य का दौरा न करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना की।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति बीआर गवई और पांच अन्य न्यायाधीश जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में राहत शिविरों का 22 मार्च को दौरा करेंगे।
कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि उनकी पार्टी इस फैसले का स्वागत करती है। रमेश ने ‘पीटीआई-भाषा’ से सरकार की आलोचना करते हुए मणिपुर पर मोदी की ‘चुप्पी’ को लेकर सवाल उठाया।
कांग्रेस नेता ने कहा, “वह (प्रधानमंत्री मोदी) दुनिया भर में जाते हैं, असम जाते हैं, अन्य जगहों पर जाते हैं लेकिन मणिपुर नहीं जाते जबकि राज्य के लोग उनके दौरे का इंतजार करते रहते हैं।”
मणिपुर में तीन मई 2023 को जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 200 से अधिक लोग मारे गए, सैकड़ों लोग घायल हुए और हजारों अन्य विस्थापित हुए।
नालसा ने कहा कि प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति गवई, शीर्ष अदालत के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश, न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह के साथ मणिपुर उच्च न्यायालय के द्विवार्षिक समारोह के अवसर पर राहत शिविरों का दौरा करेंगे।
नालसा ने 17 मार्च को एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया, “तीन मई 2023 को शुरू हुई जातीय हिंसा के लगभग दो वर्ष बाद भी कई लोग मणिपुर में राहत शिविरों में शरण लेने को मजबूर हैं।’’
नालसा ने बताया कि इस हिंसा में सैकड़ों लोगों की जान चली गई और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए।
प्राधिकरण ने बताया कि न्यायमूर्ति गवई इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम और उखरुल जिलों में नए कानूनी सहायता केंद्रों के अलावा राज्य भर में कानूनी सेवा शिविरों और चिकित्सा शिविरों का डिजिटल माध्यम से उद्घाटन करेंगे।
नालसा के अनुसार, आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों को आवश्यक राहत सामग्री वितरित की जाएगी।
विज्ञप्ति में बताया गया, “हिंसा के बीच, नालसा ने मणिपुर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (एमएएसएलएसए) के साथ मिलकर प्रभावित समुदायों को कानूनी सहायता और सहयोग प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।